श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन सनातन धर्म मॆ पूरे उत्साह से मनाया जाता है। इस दिन आपसी प्रेम को ग्रहों की दिव्यता के मध्य रक्षा सूत्र मॆ बांधकर आपसी प्रेम को निभाने का संकल्प किया जाता है। श्रावण पूर्णिमा के दिन सूर्य कर्क राशि तथा चंद्रमा मकर राशि मॆ रहता है इस पूर्णिमा मॆ सूर्य चंद्र राशि कर्क मॆ रहकर चंद्रमा को मकर राशि मॆ पूर्ण दृष्टि से देखता है। इस दिन चंद्रमा बलि होने के कारण मानसिक भाव अत्यंत शक्तिशाली होते है।
राहु-केतु की शांति
इस दिन रक्षा सूत्र बंधन तथा आशीर्वाद का विधान रहता है। बहने भाई को कुल पुरोहित अपने जजमान को रक्षा सूत्र बाँधते हैं। बहन द्वारा भाई को दिये गये आशीर्वाद से भाई पर आने वाले बुध तथा राहुजनित ग्रह दोषों की शांति होती है। जिससे अचानक आकस्मिक रुप से होने वाले आर्थिक नुकसान से बचाव तथा व्यापार मॆ फायदा होता है। बहन बुआ तथा बेटी से कालपुरुष का ऋण देखा जाता है। जब हम श्रद्धापूर्वक रक्षाबंधन मॆ उनका सत्कार करते है तो उनके आशीर्वाद से हमारे पितृऋणों मॆ कमी आती है। फलस्वरूप बरकत या वृद्धि होती है।
कुल पुरोहित द्वारा रक्षा सूत्र का विधान
कुल पुरोहित अर्थात हमारी परम्परा इष्ट देवी देवता का जानकर इनके वंशज हमारे वंशज हमारे घर के पूजा पाठ अनुष्ठान सम्पन्न करते है तथा हमारे ऊपर इनके परिवार को दान द्वारा आर्थिक मदद करने का जिम्मा रहता है। इनके आशीर्वाद से हमारा कुल परिवार फलता फूलता है।रक्षाबंधन के दिन बहन बुआ बेटी के अलावा कुल पुरोहित से रक्षासूत्र बंधवाकर आशीर्वाद लेना चाहिये। जिससे हमारे पितृऋण का शमन द्वारा राहु और बुध ग्रह की अशुभता दूर होती है। जिससे हमारे व्यापार नौकरी मॆ उन्नति होती है।
वहीं कुलपुरोहित के आशीर्वाद हमारा गुरु तथा केतु ग्रह शुभ होता है। जिससे हमारा वंश आर्थिक तथा सामाजिक रुप से वृद्धि पाता है। यदि आपकी बहन बेटी और बुआ से मतभेद है तो इन्हे बुलाकर उनका आशीर्वाद लें तथा यथासम्भव उन्हे प्रसन्न करने की कोशिश करें। इसी तरह आपका यदि कुल पुरोहित न हो तो जिस मंदिर पर आप नियमित रूप से जाते है उस पुरोहित से रक्षासूत्र बंधवाकर उन्हे दक्षिणा दें तथा आशीर्वाद लें। शास्त्रों की ये परम्परा यूँ ही नही है इससे हमारे आर्थिक तथा मानसिक सुखों की डोर बँधी है।
प.चन्द्रशेखर नेमा"हिमांशु"
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