
जानकारी के अनुसार 2016 में माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित 10वीं बोर्ड परीक्षा में निजी स्कूल की छात्रा साक्षी सेन को गणित में 66 नंबर मिले थे लेकिन बोर्ड ने 16 मई 2016 को जब परिणाम घोषित कर अंकसूची जारी की तो उसमें उसे गणित में 6 नंबर प्राप्त करना बताकर पूरक का पात्र माना। साक्षी को गणित में विशेष योग्यता की उम्मीद थी। बेटी के आत्मविश्वास पर पिता निरंजन सेन ने रि-टोटलिंग का आवेदन किया लेकिन 19 मई को भी बोर्ड ने परिणाम को पूर्ववत बताया। निरंजन सेन ने प्रक्रिया के तहत गणित विषय की कॉपी बोर्ड से मांगी। बोर्ड ने 27 जून को कॉपी उपलब्ध कराई तो पता चला कि उसे 6 नहीं 66 नंबर मिले हैं और 10वीं बोर्ड परीक्षा उसने प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है।
रिजल्ट में गड़बड़ी पकड़ में आने के बाद साक्षी के पिता ने 3 अगस्त 2016 काे इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इस पर 25 जुलाई 2017 को फैसला देते हुए कोर्ट ने न केवल माशिमं को कड़ी फटकार लगाई, बल्कि लापरवाही बरतने पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी किया। यह राशि एक माह के भीतर एफडीआर के रूप में कोर्ट में जमा होगी। जो उसके पिता को सौंपी जाएगी।