नाम मिनी, कद-3 फीट: भगवान को दोष नहीं दिया, संघर्ष किया, MPPSC पास

भोपाल। लोग अपनी असफलताओं का दोष अक्सर किसी दूसरे को देते हैं। यदि किसी के शरीर में जन्म से ही कोई विकृति हो तो इसे पूर्वजन्म के पाप कहा जाता है। ग्वालियर की मिनी के साथ भी ऐसा ही था। उसके पैर मुड़े हुए थे। हाइट बढ़ नहीं रही थी। स्कूल में सब चिढ़ाते थे लेकिन मिनी ने भगवान को दोष देकर घर बैठ जाने के बजाए खुद को साबित करने के लिए संभावनाएं तलाशीं। 10 साल तक अस्पताल के बिस्तर पर रही, लेकिन पढ़ाई नहीं छोड़ी और आज मिनी ने एमपी पीएससी की परीक्षा पास कर ली है। वो सहायक संचालक उद्योग पद के लिए चुनीं गईं हैं। 

ग्वालियर के दौलतगंज निवासी पेशे से व्यवसायी पिता हरी अग्रवाल की बेटी मिनी के बचपन से ही पैर मुड़े हुए थे। इसलिए कद नहीं बढ़ा। पिता ने 12 साल की उम्र में पैर का पहला ऑपरेशन कराया। इसके बाद अगले 10 साल में उसके पैरों के 4 मेजर ऑपरेशन हुए। साल 2000 से 2010 तक मिनी का सारा वक्त बिस्तर पर ही बीता। बीच-बीच में चलने फिरने का मौका मिला तो उन्होंने पढ़ाई पर ध्यान लगाया और स्कूलिंग पूरी की। स्कूल में कम हाइट की वजह से बच्चे चिढ़ाते थे लेकिन उन्होंने पढ़ाई बंद नहीं की। 

बकाैल मिनी पिता कहते थे-बेटा तुम्हें मेरा अफसर बनकर मेरा सपना पूरा करना है। मिनी के मन में भी अफसर बनकर समाज को बदलने की सोच घर कर गई थी। इसलिए ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने एमपी पीएससी की तैयारी शुरू कर दी। 2014 में पहले जब लेबर इंस्पेक्टर पद के लिए सेलेक्शन हुआ तो मिनी के हौसले ने नई करवट ली। उन्होंने यहां से सफर फिर शुरू किया। दोबारा तैयारी की और इस बार उनका चयन सहायक संचालक उद्योग के पद पर किया गया है।

कमेंट्स सुनकर दुख होता था हौसला नहीं टूटा
मिनी को स्कूल से पीएससी में चयन तक छोटे कद पर भद्दे कमेंट सुनने को मिले। उनके साथी छात्र-छात्राओं ने उनका मजाक बनाया। बकौल मिनी ऐसी बातें सुनकर दुख जरूर होता था, लेकिन मेरा हौसला नहीं टूटा। मैंने कमजोरी को ही अपनी ताकत बनाया।

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