10वीं में गणित अनिवार्य नहीं होना चाहिए: हाईकोर्ट

मुंबई। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने विभिन्न शैक्षणिक बोर्डों से कहा कि वे 10वीं कक्षा के छात्रों के लिये गणित को वैकल्पिक विषय बनाने पर विचार करें जिससे उन्हें बिना गणित के ज्ञान के अलावा कला और दूसरे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिये प्रेरणा मिलेगी। बता दें कि गणित की कठिन पढ़ाई के कारण हर साल हजारों बच्चे फेल हो जाते हैं और फिर स्कूल छोड़ देते हैं। 

जस्टिस वी एम कनाडे और ए एम बदर ने प्रमुख मनोचिकित्सक हरीश शेट्टी की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह सुझाव दिया। याचिका में स्कूल स्तर पर छात्रों के सीखने की अक्षमता और ऐसे छात्रों की मदद के लिये शैक्षणिक बोर्डों द्वारा उठाये गये कदमों का मुद्दा उठाया गया है। अदालत ने पाया कि 10वीं के बाद गणित और भाषा की परीक्षा में पास नहीं हो पाने की वजह से बहुत से छात्र पढ़ाई छोड़ देते हैं।

जस्टिस कानाडे ने कहा, कला और दूसरे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में स्नातक स्तर पर गणित जैसे विषयों की जरूरत नहीं होती। छात्रों को अगर गणित की पढ़ाई नहीं करने का विकल्प मिले तो इससे उन्हें स्नातक की पढ़ाई पूरी करने में मदद मिलेगी। पीठ ने शैक्षणिक बोर्डों से कहा है कि वह इस सुझाव पर विभिन्न विशेषज्ञों से विचार-विमर्श करें. कोर्ट ने मामले की सुनवाई 26 जुलाई तक टाल दी है।

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