मध्यप्रदेश में भी बिना SHIVRAJ SINGH के चुनाव लड़ेगी भाजपा!

उपदेश अवस्थी/भोपाल। यूपी में मिली चमत्कारी जीत से उत्साहित भाजपा ने अपनी चुनावी रणनीति बदलने का मन बना लिया है। दिल्ली, बिहार और पंजाब की हार भी एक सबक है जो यूपी की रणनीति को सफल प्रमाणित कर रही है। तय कर लिया गया है कि गुजरात का चुनाव बिना सीएम कैंडिडेट के लड़ा जाएगा और ऐसा ही मप्र में भी किया जाएगा। हाल ही में महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने आगे आकर कहा है कि अगला चुनाव भी शिवराज सिंह के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। इसके अपने मायने हैं। शतरंज की बिसात पर मोहरा कहां देखे और कहां हमला करे यह तो खेलने वाला ही जानता है। 

इन दिनों गुजरात चुनाव की तैयारियां शुरू हो गईं हैं। कांग्रेस प्रशांत किशोर के साथ रणनीति बना रही है। भले ही प्रशांत यूपी में फेल हो गए हों परंतु गुजरात को वो बेहतर जानते हैं अत: भाजपा के रणनीतिकार इसे मजाक में उड़ाने के मूड में नहीं हैं। गुजरात भाजपा में चल रही गुटबाजी भी हाईकमान के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। ऐसे में यदि किसी एक को सीएम कैंडिडेट बनाया जाता है तो हालात दिल्ली और बिहार जैसे हो सकते हैं। अत: तय किया गया है कि यूपी की तर्ज पर चुनाव लड़ा जाएगा। मोदी को आगे रखकर ही वोट जुटाए जाएंगे। 

मप्र में शिवराज सिंह विरोधी लहर 
मध्यप्रदेश में फिलहाल चुनावी जमावट शुरू नहीं हुई है लेकिन समीक्षाओं और योजनाओं का काम शुरू हो गया है। यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 2013 तक सबसे लोकप्रिय चैहरा हुआ करते थे परंतु इस बार मप्र में शिवराज विरोधी लहर चल रही है। संघ के कई वरिष्ठ नेता भी मानते हैं कि आगामी चुनाव में यदि जनता चुप हो गई तो परिणाम चौंकाने वाले आ सकते हैं। कोई संभावना नहीं है कि इस बार शिवराज सिंह की लहर चले। हां यह जरूर गारंटेड है कि यदि शिवराज सिंह को सीएम कैंडिडेट घोषित नहीं किया गया तो कांग्रेस का इस बार भी सूपड़ा साफ ही रहेगा। 

मप्र पर मोदी की छाप 
दूसरा बड़ा कारण यह भी है कि देश के हर राज्य में सरकारों पर प्रधानमंत्री मोदी की छाप है परंतु मप्र मोदी से मुक्त चल रहा है। यहां शुरू से अंत तक शिवराज ही शिवराज हैं। अच्छा और बुरा सब शिवराज सिंह के खाते में दर्ज हो रहा है। यदि शिवराज सिंह चौहान को सीएम कैंडिडेट घोषित नहीं किया जाता तो शिवराज की छाप खत्म हो जाएगी। मोदी और अमित शाह के लिए खुला मैदान मिलेगा। शिवराज विरोधी लहर का नुक्सान नहीं होगा और चुनाव जीतने के बाद मप्र पर भी मोदी की छाप लग जाएगी। 

शिवराज सिंह की बड़ी चुनौती
मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को हल्के में नहीं लिया जा सकता। वो राजनीति के सफल खिलाड़ी हैं। विषम से विषम परिस्थितियों में भी वो दिल्ली से फ्रीहेंड ले ही आते हैं। बीसियों बार शिवराज सिंह के ताकतवर विरोधियों ने उन्हे घेरने की कोशिश की परंतु शिवराज हर चाल जीतते आए हैं। हालांकि इस बार वो पेंशन प्लान पर भी काम कर रहे हैं परंतु शिवराज सिंह को नजदीक से जानने वाले कहते हैं कि वो लास्ट मिनट तक हार नहीं मानते और हर विवाद का हल बिना विवाद किए निकालने में माहिर हैं। लोकसभा चुनाव के समय मोदी के सामने सीना तानकर खड़े थे लेकिन केंद्र में सरकार बनने के बाद मोदी के प्रिय मुख्यमंत्री भी बन गए। अब सारा दारोमदार गुजरात पर टिका है। यदि वहां फार्मूला फेल नहीं हुआ तो मप्र में अप्लाई किए जाने की पूरी संभावनाएं हैं। देखना रोचक होगा कि अगले चुनाव में शिवराज सिंह अपने लिए फ्रीहेंड कैसे लाते हैं। 

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