महिला अधिकारी को जुलानिया ने बर्खास्त किया था, कलेक्टर ने रोक लिया

नितिन चौबे/दमोह। यूं तो पंचायत एवं ग्रामीण विकास के अपर मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानिया मप्र के सबसे ताकतवर आईएएस अफसर हैं। उनके आदेश की तत्काल तामील होती है परंतु दमोह में कलेक्टर ने उनके आदेश को स्थगित करते हुए पुनर्विचार के लिए भेज दिया है। मामला राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन जिला समन्वयक श्रीमती दीपमाला सिकरवार का है। कलेक्टर डॉ. श्रीनिवास शर्मा ने उनके अच्छे कार्य की अनुशंसा करते हुए पुर्नविचार के लिए पत्र लिखा है। 

जिले के सबसे बड़ा घोटाला है शौचालय निर्माण
दमोह जिले में शौचालय निर्माण में जम कर भ्रष्टाचार किया गया। राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन जिला समन्वयक श्रीमती दीपमाला सिकरवार द्वारा नियम कायदों को ताक पर रखकर फर्जी शौचालय निर्माण कराए गए। फर्जी शौचालय एवं लक्ष्य से कम शौचालय निर्माण करने को लेकर अनेक शिकायतें हितग्राहियों द्वारा भी की गई थीं। जिसके चलते ग्रामीण विकास विभाग के अपर सचिव आरएस जुलानिया द्वारा कार्य में असंतोष जनक प्रगति को लेकर दीपमाला सिकरवार की सेवाएं समाप्त करने के आदेश दिए थे। 

CEO के संरक्षण में चल रहा था भ्रष्टाचार का खेल
जिला पंचायत के पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. जेसी जटिया के रहते दीपमाला सिकरवार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार पर अगुली उठाने वाला कोई नहीं था। बार बार की जा रही शिकायतों, मुख्य मंत्री हेल्प लाईन की शिकायतें भी स्वच्छता मिशन जिला समन्वयक के भ्रष्टाचार को रोक नहीं पाईं।

सीईओ के स्थनांतरण होते ही दिखा बाहर का रास्ता
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत के स्थानांतरण होते ही शौचालय भ्रष्टाचार में सलंग्न जिला समन्वयक की सेवाएं समाप्त करने के आदेश हो गए। संविदा पर कार्य कर रही जिला समन्वयक दीपमाला सिकरवार द्वारा शौचालय निर्माण में किए जा रहे भ्रष्टाचार में तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. जेसी जटिया का वरदहस्त प्राप्त था। सीईओ के बदलते ही अपर मुख्य सचिव आरएस जुलानिया ने जिला समन्वयक दमोह की संविदा सेवाएं समाप्त कर दी थीं।

बिना भौतिक सत्यापन ही कर दिए भुगतान
जिला समन्वयक स्वच्छता मिशन दमोह द्वारा शौचालय का भौतिक सत्यापन किए बिना ही सीधे ग्राम पंचायतों को भगुतान कर दिया गया। ब्लाक समन्वयक द्वारा बार बार इस बात को जिला समन्वयक के समाने कहा गया कि अनेक ग्राम पंचायतों में निर्मित शौचालयों का अभी भौतिक सत्यापन नहीं किया गया है तथा अनेक ग्रामों में बने शौचलय स्तर हीन और घटिया निर्माण सामग्री से बनाए गए है जिसके चलते शौचालय अपने निर्माण के कुछ समय बाद ही घ्वस्त हो गए। परंतु जिला समन्वयक द्वारा ब्लाक समन्वयक को दर किनार करते हुए सीधे भुगतान जारी कर दिया गया । सूत्र बताते हैं कि जिला समन्वयक दीपमाला तिवारी एक शौचालय निर्माण पर बारह सौ की राशि कमीशन के रूप में लेती थीं। जिसमें जिला सीईओ समेत अनेक अधिकारियों को हिस्सा जाता था। यहि कारण है कि दीपमाला सिकरवार द्वारा मानमाने ढंग से कार्य किया जाता रहा और बिना शौचालय बने ही शौचालयों को भगुतान जारी कर दिया गया । 

ठेकेदारों का जमावड़ा
जिला समन्वयक स्वच्छता मिशन दीपमाला सिकरवार मुख्यमंत्री के निर्देशों के साथ खिलवाड़ करती नजर आईं। मुख्यमंत्री द्वारा शौचालय में हो रहे भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए जीपीएस रीडिंग सहित फोटो अपलोड करने हेतु ग्राम पंचायतों के रोजगार सहायकों को अधिकृत किया गया था परंतु जिला समन्वयक द्वारा आईडी और पासवर्ड ठेकेदारों को उपलब्ध करा दिए गए जिससे शौचालय निर्माण में बदस्तूर भ्रष्टाचार का खेल जारी रहा। 

आज तक नहीं दिया प्रभार
पंचायत एवं ग्रामीण विकास अपर मुख्य सचिव आरएस जुलानिया द्वारा लक्ष्य पूर्ण न करने को लेकर संविदा सेवाएं समाप्त करने के आदेश दिए थे पंरतु जिला कलेक्टर दमोह द्वारा उन आदेशों की अवहेलना करते हुए पुनः विचार का पत्र अपर सचिव को लिखा गया है। 6 फरवरी 2017 को तकनीकि विशेषज्ञ, प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना को प्रभार देने के लिए लेख किया गया था परंतु जिला समन्वयक स्वच्छता मिशन द्वारा आज तक प्रभार नहीं दिया गया।

इनका कहना है 
अभी मैने कलेक्टर दमोह द्वारा लेख किया गया पत्र देखा नहीं है, अभी मैं मुख्यालय से बाहर हॅूं, पत्र देखकर ही कुछ कहा जा सकता है, वैसे वरिष्ठ अधिकारी के आदेश पर पुर्नविचार के लिए लेख करना ठीक नहीं है। 
श्रीमती हेमवती बर्मन, 
राज्य कार्यक्रम अधिकारी,
राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन, भोपाल, मध्यप्रदेश

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