अब प्राइवेट स्कूलों की शिकायत के लिए 1000 रुपए लगेंगे: कानून बना रही है शिवराज सरकार

भोपाल। मनमानी फीस के खिलाफ हुए आंदोलन और हाईकोर्ट में हुए फैसलों के बाद मप्र की शिवराज सरकार प्राइवेट स्कूलों पर नियंत्रण के लिए नया कानून बना रही है। इस कानून का लक्ष्य तो स्कूलों पर नियंत्रण बताया जा रहा है परंतु जिस तरह से कानून तैयार किया जा रहा है, वह स्कूलों की शिकायतों को नियंत्रित करने के लिए ज्यादा समझ आ रहा है। नियम बनाया जा रहा है कि यदि कोई व्यक्ति प्राइवेट स्कूल के खिलाफ शिकायत करता है तो उसे शिकायत के साथ 1000 रुपए जमा कराने होंगे। इसके अलावा वो व्यक्ति स्कूलों की शिकायत नहीं कर सकेगा जिसके बच्चे स्कूल में नहीं पढ़ते। पढ़िए पत्रकार मनोज तिवारी की यह रिपोर्ट: 

कानून का मसौदा तैयार है, जो विधानसभा के बजट सत्र में पटल पर रखा जाएगा। इस कानून के लागू होने के बाद सरकार निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण तो रख पाएगी लेकिन फीस कितनी लगेगी ये तय करने का अधिकार उसका नहीं होगा।

अभिभावकों की आठ साल की कड़ी मेहनत और हाईकोर्ट की फटकार के बाद राज्य सरकार 'मप्र निजी विद्यालय (फीस में अनियमित वृद्धि तथा अन्य अनुषांगिक विषयों का नियंत्रण) अधिनियम" बना रही है। कानून का मसौदा वरिष्ठ सचिव समिति को भेजा जा रहा है। यहां से स्वीकृत होने पर कैबिनेट में भेजा जाएगा। छात्रों को भी स्कूल की शिकायत करने के लिए ऑनलाइन एक हजार रुपए जमा करने पड़ेंगे और यदि शिकायत झूठी पाई गई तो ये राशि राजसात कर ली जाएगी। इस संबंध में 30 अप्रैल-2015 को गाइड लाइन जारी की गई थी अब उसे ही कानूनी रूप दिया जा रहा है।

गरीब नहीं कर पाएंगे शिकायत 
यह शायद पहला मामला है जिसमें जनता को शिकायत के लिए भी फीस देना पड़ेगी। इसे लेकर अफसरों का अपना तर्क है। वे कहते हैं कि फीस लेने से झूठी शिकायतों पर रोक लगेगी। वरना, फर्जी शिकायतों की जांच करना समस्या बन जाएगा। हालांकि इसका दूसरा पहलू यह है कि एक हजार रुपए के चक्कर में गरीब और कमजोर आय वर्ग के लोग शिकायत ही नहीं करेंगे।

फीस समितियों में अभिभावकों को जगह नहीं 
जिला और राज्य स्तर पर गठित होने वाली फीस विनियामक समितियों को सिविल कोर्ट की शक्तियां दी जा रही हैं। जिला समिति कलेक्टर और राज्य समिति स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव की अध्यक्षता में काम करेगी। दोनों में शिक्षाविद् और चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) भी सदस्य होंगे,जबकि छात्र व अभिभावकों को समिति में जगह नहीं मिलेगी साथ ही अभिभावकों और छात्रों के अलावा दूसरे व्यक्ति या संगठन को भी शिकायत के अधिकार नहीं रहेंगे।

10 फीसदी फीस बढ़ाने की आजादी 
कानून में इन स्कूलों को हर साल 10 फीसदी फीसवृद्धि की आजादी दी जा रही है। इससे अधिक वृद्धि के मामले जिला समिति और 20 फीसदी से अधिक वृद्धि के मामले राज्य कमेटी सुनेगी। ये समितियां भी स्वैच्छिक शुल्कों से संबंधित शिकायतें नहीं सुनेंगी। ये समितियां दोष सिद्ध होने पर 3 माह के कारावास, एक लाख के जुर्माने या दोनों सजा सुना सकेंगी। स्कूल की मान्यता खत्म करने की अनुशंसा भी कर सकेंगी।

इनका कहना है
ये गलत है। हम इसका विरोध करेंगे, यह सरकार और निजी स्कूलों की सांठगांठ को उजागर करता है। 
डॉ. पीजी नाजपांडे, 
याचिकाकर्ता एवं अध्यक्ष, नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच

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