मप्र शिक्षा विभाग: DEO/DPC की दुकानें बंद होंगी, प्राचार्य की पॉवर बढ़ेगी

भोपाल। मप्र में स्कूलों का निरीक्षण अब कारोबार बन गया है। डीईओ/डीपीसी समेत एक बहुत बड़ा अमला स्कूलों का नियमित रूप से निरीक्षण करता है परंतु इसका फायदा आज तक नहीं मिला। उल्टा अतिरिक्त कमाई का जरिया बन गया। लापरवाह शिक्षकों को नोटिस थमाए जाते हैं, सस्पेंड किया जाता है। सबकुछ जिला मुख्यालय से होता है अत: रिश्वत देकर लापरवाह शिक्षक फिर से स्कूल में आ जाता है और लापरवाही करता रहता है। प्राचार्य की अनुशंसाओं पर भी जिला मुख्यालय सौदेबाजी कर लेता है लेकिन अब ये दुकानें बंद होंगी। प्राचार्य के पॉवर बढ़ेंगे। यदि शिक्षकों ने बंक मारा तो प्राचार्य उन्हे सस्पेंड तक कर सकेंगे। पढ़िए पत्रकार राहुल शर्मा की रिपोर्ट: 

नए सिरे से बनेगा सिस्टम
स्कूलों में आमतौर पर लंबे समय से अनुपस्थित रहने, अनुशासनहीनता करने वाले शिक्षकों पर निरीक्षण के दौरान अधिकारी ही कार्रवाई करते हैं। इसके तहत वेतन काटने, वेतनवृद्धि रोकने और निलंबन का प्रावधान है। प्राचार्य ऐसे शिक्षकों पर नजर तो रखते हैं, लेकिन सीधे कोई एक्शन नहीं ले पाते। वे इसके लिए अनुशंसा करते हैं। ऐसे में कई बार तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। अधिकारियों के मुताबिक इस व्यवस्था के अलावा संस्था प्रमुख और शिक्षकों के दायित्वों का निर्धारण भी नए सिरे से किया जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया एक साथ की जाएगी ताकि इसका क्रियान्वयन बेहतर ढंग से हो सके।

इसलिए दिए जाएंगे अधिकार
वर्तमान में प्राचार्यों के पास अधिकारों का अभाव है। वे अकादमिक स्तर पर ही अपने स्कूल के बारे में निर्णय ले पाते हैं। शिक्षकों पर उनका नियंत्रण नहीं रहता है। लिहाजा, स्थिति को काबू में लाने के लिए स्कूल के प्राचार्यों के अधिकार बढ़ाने की मांग लंबे समय से उठ रही है। विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जल्द ही प्राचार्यों के पास शिक्षकों के निरंतर अनुपस्थित रहने, कक्षाओं में न पढ़ाने, स्वेच्छारिता या अनुशासनहीनता का अनुशासनहीनता का आचरण करने पर कार्रवाई के अधिकार दिए जाएंगे।

यह होगा फायदा
प्राचार्य को शिक्षकों पर कार्रवाई के अधिकार मिलने से वे शिक्षकों और छात्रों को बेहतर ढंग से अनुशासित कर सकेंगे। प्राचार्यों के अधिकार बढ़ाने और दायित्वों का निर्धारण करने से स्कूल का प्रबंधन भी और अच्छे से हो सकेगा।

बढ़ाएंगे नेतृत्व क्षमता के गुण
विभाग के अधिकारियों ने यह तथ्य भी सामने आया है कि प्राचार्यों में नेतृत्व क्षमता की कमी है। इस कारण भी कई बार वे अपने स्कूल में प्रबंधकीय कार्य बेहतर ढंग से नहीं कर पाते। इस दिशा में भी योजना बनाई जा रही है और नेतृत्व क्षमता के विकास के लिए प्राचार्यों को ट्रेनिंग आदि भी देने की योजना पर काम चल रहा है।

बेहतर निर्णय ले सकेंगे
प्राचार्यों के अधिकार बढ़ाने को लेकर काम चल रहा है, ताकि शैक्षणिक गुणवत्ता में और सुधार आ सके। प्राचार्य अधिकार संपन्न होंगे तो उन्हें लंबी प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा। वे स्कूल की बेहतरी के लिए निर्णय लेने में सक्षम हो सकेंगे।
नीरज दुबे, आयुक्त लोक शिक्षण

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