सेना के शौर्य का श्रेय मोदी सरकार क्यों लूट रही है: कांग्रेस का सवाल

नईदिल्ली। पाक के कब्जे वाले कश्मीर में 'सर्जीकल स्ट्राइक' करके रातों रात देश भर की लाड़ली हो गई मोदी सरकार अब सर्जीकल स्ट्राइक के 'प्रचार' के तरीकों को लेकर घिर गई है। कांग्रेसी नेताओं के अलावा सेना के रिटायर्ड आला अधिकारियों ने भी इस तरह के प्रचार पर आपत्ति जताई है। आपत्ति इस बात पर है कि 'सर्जीकल स्ट्राइक' का राजनीतिक लाभ के लिए प्रचार किया जाना उचित नहीं है। ऐसा तो नहीं है कि नरेंद्र मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने सेना को आॅपरेशन की अनुमति दी। 47 से आज तक ऐसा कई बार हुआ। इस बार आॅपरेशन के प्रचार का तरीका नया है। 

पूर्व गृह मंत्री पी चिंदबरम और कांग्रेसी नेता संदीप दीक्षित ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि भारत पहले भी ऐसी सर्जिकल स्ट्राइक करता रहा है लेकिन कूटनीतिक चिंताओं के चलते इसका “प्रचार” नहीं किया जाता था। सेना के कुछ पूर्व अधिकारियों और कुछ सुरक्षा विशेषज्ञों ने भी मोदी सरकार के सर्जिकल स्ट्राइक के “प्रचार” पर सवाल उठाया है। भारतीय सेना के अनुसार 28-29 सितंबर की रात को उसके पैरा फोर्सेज के कमाडों ने इस सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था।

पी चिंदबरम ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारत ने 2013 में एक बहुत बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक की थी। चिदंबरम ने बताया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने रणनीतिक गतिरोधों को ध्यान में रखते हुए इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं करने का फैसला किया था। चिदंबरम ने सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर किसी भी तरह का अपरिपक्व फैसला लेने से बचने की भी सलाह दी।

कांग्रेसी नेता संदीप दीक्षित ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके पूर्व मंत्रियों को लिखे एक खुले पत्र में भी ऐसे ही सवाल उठाए हैं। दीक्षित ने अपने पत्र में संकेत किया है कि कांग्रेस सरकार के 10 साल के शासन में भारत ने कई सर्जिकल स्ट्राइक की लेकिन उन्होंने उनका ऐसा प्रचार नहीं किया है। दीक्षित ने लिखा है, “आपके प्रधानमंत्री काल में भी कई मौकों पर ऐसी कार्रवाई की बातें मैंने सुनी थीं। 2007, 2009, मुंबई हमले के बाद, 2011 में, जनवरी 2013 और 2014 की शुरुआत में और कई बार।”

भारतीय सेना के कई पूर्व अधिकारियों ने भी कहा है कि सेना द्वारा सीमा नियंत्रण रेखा के पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक करना नई बात नहीं है। भारतीय वायु सेना के पूर्व एयर वाइस मार्शल मनमोहन बहादुर ने एक लेख में जुलाई 1981 में भारतीय सेना द्वारा किए गए सर्जिकल स्ट्राइक का विस्तृत ब्योरा दिया है। रणीनीतिक मामलों के कई जानकारों ने भी सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर ऐसे ही सवाल उठाए हैं। टिप्पणीकार प्रताप भानू मेहता ने अपने हालिया लेख में लिखा है, “ऐसा ऑपरेशन पहली बार नहीं हुआ है। लेकिन भारत की नीयत और निश्चय दर्शान के लिए ऑपरेशन का इस्तेमाल नया है।”

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !