भोपाल में रेत माफिया के ड्रायवरों ने अफसरों को हड़काया, पुलिस भी चुप रही

भोपाल। राजधानी में रेत माफिया को विशेष सुविधाएं प्रदान कर दी गईं हैं। माफिया खुलेआम रेत के डंपर लेकर आते हैं और यदि कोई अधिकारी कार्रवाई करने की कोशिश करता है तो उसे पॉलिटिकल पॉवर दिखा दी जाती है। भोपाल की पुलिस भी इस विवाद में प्रशासन का साथ नहीं देती। 

शुक्रवार रात 1 बजे होशंगाबाद रोड पर खनिज निरीक्षक अशोक द्विवेदी के साथ अमले ने भोपाल आ रहे रेत के डंपरों की जांच शुरू की। इस दौरान डंपर नंबर एमपी 04 एचई-3938, एमपी 04 एचई-3708 एमपी 09 एचई-3888 सहित सात अन्य डंपरों के ड्राइवरों ने खनिज अमले को धमकाया कि जब होशंगाबाद और जैत के खनिज अफसर हमारी गाड़ी नहीं रोकते हैं तो आप क्यों परेशान हो रहे हो। 

पुलस ने भी हाथ खींच लिए 
खनिज इंस्पेक्टर ने जब ड्राइवर से ट्रक बागसेवनिया थाने में खड़ा करने के लिए कहा गया तो वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने ट्रक खड़ा करने से इंकार कर दिया। सिर्फ 2 पर कार्रवाई की गई। वह भी सिर्फ जुर्माने की। राजधानी में अवैध ट्रकों को पकड़कर थाने में खड़ा करने को लेकर खनिज विभाग के अफसर और पुलिस आमने-सामने आ गए हैं। खनिज अफसरों का आरोप है कि पुलिस पकड़े गए ट्रकों को थाने में खड़ा करने से कतराती है। देर रात जिला प्रशासन के अफसरों के फोन करने के बाद जब्त किए 2 डंपरों को बाग सेवनिया थाने में खड़ा कराया गया। बाद में जुर्माना करके छोड़ भी दिया। 

रोज 200 डंपर रेत का कारोबार 
राजधानी में रोजाना 200 डंपर रेत बेची जाती है। इनमें से ज्यादातर डंपर होशंगाबाद रोड और रायसेन रोड से प्रवेश करते हैं। खनिज अमला इन पर कभी-कभार कार्रवाई करता है। खनिज अधिकारी एमएम गोयल ने बताया कि सालभर में 160 डंपरों पर कार्रवाई की गई। इससे 90 लाख रुपए राजस्व मिला। 

कलेक्टर को शिकायत की है 
रेत के अवैध कारोबार को रोकने के लिए पुलिस का सहयोग जरूरी है, पर थानों में पुलिसकर्मी पकड़ी गईं गाड़ियों को खड़ा करने से इंकार कर देते हैं। उधर, रसूखदारों की गाड़ी पकड़ने पर धमकी मिलती है। मामले की जानकारी कलेक्टर को दी गई है। 
एमएल गोयल, जिला खनिज अधिकारी 

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