भोपाल। ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर उज्जैन सांसद और बीजेपी प्रवक्ता डॉ चिंतामणि मालवीय ने कहा है कि देश शरीयत से नहीं बल्कि संविधान से चलता है। चिंतामन मालवीय से कई मुस्लिम संगठन नाराज हो गये हैं। केंद्र सरकार ने ट्रिपल तलाक, बहुविवाह और यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे पर आम लोगों से राय मांगी है। इसको लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कई मुस्लिम संगठन भड़क गए हैं। इस विवाद के बीच उज्जैन सांसद डॉ चिंतामणि मालवीय ने कट्टरपंथियों पर निशाना साधते हुए अपनी फेसबुक वॉल पर एक पोस्ट किया है।
पोस्ट में लिखा है कि ट्रिपल तलाक पर जनता की राय मांगने का विरोध करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया एवं संविधान में अविश्वास दर्शाता है। यह देश शरीयत से नहीं बल्कि संविधान से चलता है जो सबके लिए समान अधिकारों की बात करता है।
विश्व के 22 मुस्लिम देशों ने ट्रिपल तलाक खत्म कर दिया है, तो भारत में यह धार्मिक प्रश्न कैसे बन गया। उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि वह मध्ययुग नहीं आधुनिक युग में है। अपनी तुच्छ मानसिकता का त्याग करें और मुस्लिम महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने में सरकार की मदद करें।
इस मामले में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य आरिफ मसूद का कहना है कि जिस संविधान की बात बीजेपी सांसद कर रहे हैं। उसी संविधान ने हमें धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया है और उसी के तहत मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोग शरीअत के हिसाब से चलते हैं। संविधान निर्माताओं ने व्यवस्था की थी कि देश के हर वर्ग को अपना धर्म मानने और उसके हिसाब से रहने की आजादी है।