भोपाल। अधिकारियों पर तो भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहते हैं परंतु पूरी की पूरी संस्था ही आरोपों की जद में आ जाए, सिस्टम के लिए इससे शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता। स्कूल शिक्षामंत्री विजय शाह ने लघु उद्योग निगम को कमीशनखोर संस्था बताया है। यह आरोप किसी सभा या मीडिया के बीच नहीं बल्कि कैबिनेट मीटिंग में लगाया गया जहां सीएम सहित पूरी सरकार मौजूद थी।
इन्क्यूबेशन एंड स्टार्टअप सेल के बारे में एमएसएमई विभाग की ओर से प्रस्ताव दिया गया था कि यह सेल लघु उद्योग निगम (एलयूएन) में बनेगा। चर्चा के दौरान स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह ने कह दिया कि यह तो 2 प्रतिशत खाने वाली संस्था है। इमेज भी ठीक नहीं है। वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव एपी श्रीवास्तव ने भी कहा कि एलयूएन में सेल बनाते हैं तो कॉलेज से पढ़कर आने वाले युवा सरकारी प्रक्रिया में उलझ जाएंगे। सरकारी एजेंसी की बजाए, इसे प्रोफेशनल्स के हाथ में सौंपना चाहिए। इसके बाद तय हुआ कि स्टार्टअप का काम प्रोफेशनल्स को सौंपा जाए।
हालांकि इसके पहले कैबिनेट में यह सुझाव भी आया कि इंडस्ट्री कमिश्नर या इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम को यह काम दे दिया जाए। तब सवाल उठे कि स्टार्टअप में सिर्फ आईटी से जुड़े लोग ही नहीं आएंगे। इन चर्चाओं को सुनने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि स्टार्टअप सेल नाम जरूरी नहीं है। स्टार्टअप पॉलिसी का प्रेजेंटेशन विभाग के प्रमुख सचिव वीएल कांताराव ने किया। राज्यमंत्री संजय पाठक कैबिनेट बैठक में नहीं पहुंचे।
नए स्टार्टअप को प्रमोट करने के लिए कैपिटल वेंचर फंड (100 करोड़ रुपए से बना है) से मदद दी जाएगी। यदि कोई युवा 50 लाख रुपए का लोन लेता है तो 12 प्रतिशत ब्याज में से 8 फीसदी ब्याज राज्य सरकार चुकाएगी।