भोपाल। प्रमोशन में आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट में शिवराज सरकार की ओर से दायर याचिका पर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए है। इस मामले की अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी। हाईकोर्ट ने 2002 में सरकार द्वारा बनाए गए नियम को रद्द करके इस नियम के तहत दिए गए प्रमोशन को रिवर्ट करने के आदेश दिए थे। शिवराज सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
मई महीने में याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए थे साथ ही याचिकाकर्ताओं को नोटिस भी जारी किए गए थे। सोमवार को जस्टिस चेलश्वरम और जस्टिस अभय सप्रे की बेंच ने सुनवाई करते हुए एक बार फिर यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश दिए हैं।
क्या था हाईकोर्ट का फैसला
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पदोन्नतियों में आरक्षण दिए जाने वाले प्रावधान को अवैधानिक करार दे दिया था। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि नियुक्तियों के दौरान वंचित वर्गों को आरक्षण मिलना तार्किक है, लेकिन प्रमोशन में आरक्षण दिए जाने से योग्य लोगों में कुंठा का भाव घर कर जाता है। इसलिए पदोन्नति प्रक्रिया में सामान्य वर्ग को पीछे रखना किसी भी नजरिए से न्यायोचित नहीं माना जा सकता। हाईकोर्ट ने सिविल सर्विसेज़ प्रमोशन रूल 2002 को भी ख़ारिज कर दिया था। इस नियम के तहत प्रमोशन में 36 प्रतिशत तक आरक्षण दिया जाता है।