देश में शिक्षकों की सबसे अधिक कमी वाले में राज्यों में मप्र

अरविंद पांडेय/नईदिल्ली। मध्य प्रदेश के खराब शैक्षणिक स्तर को नीति आयोग अब दुरूस्त करेगा। आयोग ने इसे लेकर तेजी से कदम आगे बढ़ाया है। इसके तहत शैक्षणिक स्तर के पूरे प्लान को रिव्यू किया गया है। जिसमें स्कूलों में शिक्षकों की कमी सहित उनकी ट्रेनिंग आदि पर फोकस किया गया है। आयोग जल्द ही राज्य सरकार को इसे पूरा करने का एक टारगेट भी देगा। माना जा रहा है कि शैक्षणिक गुणवत्ता में मध्य प्रदेश के खराब परफार्मेंस के पीछे शिक्षकों की कमी ही सबसे बड़ी बजह है।

असर की वर्ष 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में शिक्षकों की सबसे अधिक कमी वाले में राज्यों में मप्र भी शामिल है। आयोग ने यह कदम देश में शैक्षणिक गुणवत्ता के स्तर में लगातार हो रही गिरावट के बाद उठाया है। जिसका आधार वर्ष 2014 की असर(एनुअल स्टेट्स ऑफ एजुकेशनल रिपोर्ट) की रिपोर्ट को बनाया है। जिसके तहत देश में शिक्षा स्तर काफी तेजी से नीचे गिर रहा है।

इनमें मप्र उन राज्यों में शुमार है, जहां यह गिरावट सबसे ज्यादा है। हालत यह है कि प्रदेश में कक्षा पांच में पढ़ने वाले छात्र को जोड़-घटाना तक नहीं आता है। वहीं कक्षा पांच का छात्र भी कक्षा दो की अंग्रेजी की किताब नहीं पढ़ पाता है। आयोग ने इन्ही सारे बिन्दुओं के आधार पर इस पूरे प्लान पर काम शुरू किया है। आयोग से जुड़े सूत्रों की मानें तो आयोग की टीम मध्य प्रदेश सहित देश के उन सभी राज्यों का जल्द दौरा करेगी। जहां शैक्षणिक गुणवत्ता की स्थिति काफी खराब है। आयोग ने इस बिन्दुओं को किया है फोकस: 

शिक्षकों की कमी
देश के जिन राज्यों में शिक्षकों की सबसे ज्यादा कमी है,उनमें मप्र भी शामिल है। यहां स्कूलों में शिक्षकों के 13 से 40 फीसदी तक पद खाली पड़े है। मप्र के अलावा जिन राज्यों में शिक्षकों की सबसे ज्यादा पद खाली है,उनमें झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार व पंजाब भी शामिल है। 

ट्रेनिंग
मप्र में शिक्षकों की समय-समय पर होने वाली ट्रेनिंग की हालत भी बदतर है। यहां सिर्फ सात फीसदी शिक्षक ही नौकरी में आने के बाद ट्रेनिंग ली है। इस मामले में देश के और भी जिन राज्यों की हालत बदतर है, उनमें हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और उत्तर प्रदेश शामिल है। 

पढ़ाई का स्तर
आयोग ने अपने रिव्यू में पढ़ाई के स्तर को भी शामिल किया है। इस दौरान रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि मप्र में कक्षा पांच के 69 फीसदी छात्र ऐसे है, जिन्हें जोड़-घटाना तक नहीं आता है। वहीं पांचवी के 66 फीसदी ऐसे छात्र हैजो कक्षा दो की भी अंग्रेजी की किताब नहीं पढ़ पाते है। 

देश में शिक्षकों के 8.3 लाख पद खाली
आयोग के मुताबिक देश में शिक्षकों की भारी कमी है। मध्य प्रदेश सहित पूरे देश में शिक्षकों के करीब 8.3 लाख पद खाली है। यह स्थिति वर्ष 2015 में है। स्थिति यह है कि देश के करीब 65 लाख ऐसे स्कूल है, जहां एक शिक्षक के भरोसे स्कूल चल रहे है। केंद्र सरकार का जोर है कि इस स्थिति को बेहतर किया जाए। 

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