भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता श्री के.के. मिश्रा ने बीते मंगलवार को सेवानिवृत्त हुए मप्र के विवादास्पद लोकायुक्त श्री पी.पी. नावलेकर के 07 वर्षीय कार्यकाल के दौरान प्रदेश के मुखिया श्री शिवराजसिंह चौहान सहित 24 मंत्रियों, 111 आईएएस, 33 आईपीएस, 19 आईएफएस के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में दर्ज 18 अन्य प्रकरणों में से मुख्यमंत्री सहित 22 मंत्रियों, 106 आईएएस, 31 आईपीएस, 17 आईएफएस और अन्य 15 विभागाध्यक्षों को राजनैतिक दवाबवश दी गई क्लीनचिट के मामलों की जांच सुप्रीम कोर्ट के किसी जज से कराये जाने का महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से विनम्र अनुरोध किया है।
महामहिम राष्ट्रपति को लिखे अपने आग्रह पत्र में श्री मिश्रा ने कहा कि देश में चहुंमुखी भ्रष्टाचार अपने चरमोत्कर्ष पर है, जिसे लेकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2014 को लालकिले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में भ्रष्टाचार को लेकर ‘‘ना खाऊंगा और न ही खाने दूंगा’’ का आव्हान किया था। हालाकि आज तक उस पर कितना अमल हो पाया है, वह किसी से छिपा नहीं है, यही स्थिति मप्र को लेकर भी है। यहां प्रदेश के मुखिया श्री शिवराजसिंह चौहान ने भ्रष्टाचार को लेकर अपनी कथित चिंता जताते हुए ‘जीरो टालरेंस’ की बात बहुप्रचारित करायी, किंतु पूरा प्रदेश आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है।
बावजूद इसके प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की भावनाओं के विपरीत प्रदेश के सेवानिवृत्त लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में उक्त उल्लेखित आंकड़ों में बड़े-बड़े सफेदपोशों और मगरमच्छों को क्लीनचिट किस आधार पर दे दी है, अनुसंधान का विषय है? जिसकी जांच सुप्रीम कोर्ट के जज से करायी जाना नितांत आवश्यक है, ताकि भ्रष्टाचार के माध्यम से देश और प्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई को निगलने वाले सफेदपोशों व मगरमच्छों पर कानून का शिकंजा कसा जा सके।