सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। मप्र के गोदामों में 60 हजार क्विंटल चावल घटिया क्वालिटी का भरा हुआ है। यह इतना घटिया है कि इसे जानवरों को भी नहीं खिलाया जा सकता। इंसान खा ले तो बीमार पड़ जाएगा। विशेषज्ञ इसे नष्ट करने की सलाह दे रहे हैं, बाजवूद इसके चावल सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबों में बांटने की प्रक्रिया पर काम हो रहा है।
मध्यप्रदेश नागरिक आपूर्ति निगम बालाघाट द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से उपभोक्ताओं को वितरित किये जाने हेतु विदिशा भेजे गये लगभग 2500 मिट्रिक टन चावल के अमानक पाये जाने के बाद बालाघाट वापस भेज दिया गया। इस घोटाले का संज्ञान होने पर नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक संचालक के निर्देश पर महाप्रबंधक श्री द्विवेदी सहित 5 गुणवत्ता निरीक्षकों के जांच दल ने बालाघाट जिले के गोदामों में संग्रहित 60 हजार क्विटंल चावल की प्रथम दष्टया जांच की तो जांच में चांवल गुणवत्ताहीन अमानक स्तर का पाया गया।
यह उल्लेखनीय है कि बालाघाट जिले के विभिन्न गोदामों लगभग 6 लाख क्विंटल का स्टाक जमा है जो अधिकाशतः अमानक और घटिया स्तर का है तथा उपभोग के काबिल नही है। निगम मुख्यालय भोपाल से आये जांच दल ने 50 स्टेग की जांच की तो सारे के सारे अमानक और घटिया स्तर के पाये गये।
यह गौरतलब है कि चावल के 1 स्टेग में 1500 क्विंटल चांवल संग्रहित रहता है विभिन्न गोदामों में 400 स्टेग के चावल का स्टाक जमा है जिनमें से केवल 50 स्टेग की ही प्रथम दृष्टया जांच की गई शेष बचे 350 स्टेगों की जांच भी की जानी चाहिये थी लेकिन अमानक और घटिया पाये गये चांवल को संबंधित मिलर्स से बदलकर गुणवत्ता युक्त चावल प्रदाय करने के निर्देश दिये गये है तथा शेष 350 स्टेग चांवल के स्टाक को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से बालाघाट जिले सहित अन्य जिलों में खपाने की कवायद की जा रही है। जिसके चलते उपभोक्ताओं को अमानक और घटिया चावल का कौर गले के नीचे निगलना पडेगा।
राईस मिलर्स और नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों तथा क्वालिटी इस्पेक्टर की साठगांठ के चलते 20 रूपये से लेकर 50रूपये प्रति क्विंटल की दर कमिशन खोरी की आड में बिहार, उत्तर प्रदेश तथा मध्यप्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से वितरित किये जाने वाला चांवल खरीदकर उसे रिसाइकिलींग कर निर्धारित गुणवत्ता और मानक के विपरित अत्याधिक टूट मिश्रित चांवल खपा दिया गया।
इस कारगुजरी के चलते अकेले बालाघाट जिले में 150 करोड रूपये का घोटाला कर सरकारी खजाने को पलिता लग चुका है।
यह विगत 1 वर्ष के दौरान खरीदी में पाया गया हैं यदि विगत 3-4 वर्ष पूर्व खरीदे गये चांवल का लेखा जोखा किया जाये तो लगभग 600 करोड रूपये का घोटाला उजागर होगा।
वारासिवनी के गोदामों में पिछले 3 वर्षो की अवधि में खरीदा गया चांवल जो कि आम उपभोक्ताओं के खाने के कबिल नही है इस बात का खुलासा वारासिवनी अनुविभागीय अधिकारी राजस्व जिला आपूर्ति अधिकारी द्वारा की गई आकस्मिक छानबीन के दौरान हो चुक है इसके बावजूद जांच दल ने वारासिवनी के गोदामों में रखे चांवल के स्टाक की छानबीन नही की ये जन चर्चा का विषय बना हुआ है।
यह उल्लेखनीय है कि बालाघाट जिले में अधिकाशतः राईस मिलर्स भाजपा से जुडे है जिसके कारण इस घोटाले को दबाने का पुरजोर प्रयास किया जा रहा है, यह जानकारी मिली है कि लगभग 110 राईस मिलर्स द्वारा घटिया चांवल की आपूर्ति की गई है।
यह भी उल्लेखनीय है कि इस घोटाले की जानकारी प्रमुख सचिव खादय को लग चूकि है तथा उन्होने इस संबंध में नागरिक आपूर्ति निगम के महाप्रबंधक को पत्र लिखकर राईस मिलर्स और अधिकारियों के विरूद्ध कडी कार्यवाही करने के निर्देश भी दिये है।
जनहित की दुष्टि से गोदामों में रखे 350 स्टेग चांवल के स्टाक की भी जांच की जाये जांच होने तक उसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली में वितरण किये जाने पर रोक लगाई जाये गोदाम में रखे चांवल की गुणवत्ता की जांच भारतीय खादय निगम के तकनिकी विशेषज्ञों से कराई जाये।