भोपाल। इंदौर और ग्वालियर कलेक्टरों की सख्ती के बाद अब जबलपुर कलेक्टर ने भी अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीसवृद्धि पर रोक लगाते हुए व्यवस्था दी कि जिले के समस्त विद्यालयों के संचालकों एवं प्राचार्यों द्वारा अपने विद्यालय में विद्यालय प्रबंधन समिति, प्राचार्य, पालक-शिक्षक समिति एवं जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा नामित व्यक्ति की उपस्थिति में बैठक आयोजित करनी होगी।
इस बैठक में संचालकों को जिला शिक्षा अधिकारी के नाॅमिनी की मौजूदगी अनिवार्यत: सुनिश्चित करनी होगी। कलेक्टर ने साफ तौर पर कहा है कि स्कूल का पुन: शुल्क निर्धारण ठोस आधार पर तर्कसंगत कारण स्पष्ट करते हुए ही किया जा सकेगा। आवश्यक होने पर यदि शुल्क वृद्धि की जानी है तो वे कारण भी स्पष्ट करने होंगे, जिनके चलते वृद्धि प्रस्तावित है।
फीस वृद्धि के समय सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेशों के साथ-साथ सीबीएसई, एमपी बोर्ड, आईसीएसई से सम्बन्धित आदेशों और नियमों तथा स्कूल शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश शासन, जिला पंचायत जबलपुर, संयुक्त संचालक लोक शिक्षण जबलपुर और जिला शिक्षा अधिकारी जबलपुर द्वारा जारी आदेशों का पालन सुनिश्चित करना होगा। इस सम्बन्ध में की गई कार्यवाही से समयावधि में जिला प्रशासन और जिला शिक्षा अधिकारी को भी अवगत कराना होगा।
40 फीसदी से अधिक बढ़ाई
निजी स्कूलों ने हद पार करते हुए अपने-अपने स्टैण्डर्ड के मुताबिक 30 से 40 फीसदी व कहीं-कहीं अधिक फीस वृद्धि की है। इससे बच्चों की फीस में तीन सौ रुपयों से लेकर हजार रुपयों तक बढ़ोत्तरी हुई है। इससे अभिभावक बेहद परेशान थे, जिन घरों में दो से तीन बच्चे हैं, उनकी तो कमर ही टूट गई थी। अब ऐसे स्कूल जिन्होंने फीस बढ़ाई है उन्हें यह फीस अभिभावकों को वापस करनी होगी। वापस न करने की स्थिति में उसे समायोजित करना होगा। ऐसा न करने वालों के खिलाफ सख्ती बरती जाएगी।
शिक्षा को व्यवसाय न बनाएं
आदेश में कलेक्टर ने यह माना है कि निजी स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि नियम विरुद्ध तरीके से बिना किसी ठोस और तार्किक आधार के अनियंत्रित रूप से की गई है और स्कूलों का व्यावसायिक ढंग से संचालन किया जा रहा है। अपने आदेश में जिला मजिस्ट्रेट ने सर्वोच्च न्यायालय एवं विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा जारी आदेशों का भी हवाला दिया है, जिनमें स्पष्ट किया गया है कि शिक्षा प्रदान करना न तो एक व्यवसाय है और न ही इसे व्यवसाय बनने की इजाजत दी जा सकती है। उन्होंने आदेश में नियमों का उल्लेख करते हुए कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि स्कूल समुदाय की सेवा के रूप में संचालित किया जाए न कि एक व्यवसाय के रूप में तथा स्कूल में किसी भी रूप में वाणिज्यीकरण न हो सके। कलेक्टर श्री रूपला ने स्पष्ट किया है कि उपरोक्त समस्त विद्यालय नियमसंगत कार्यवाही के उपरांत ही आगामी सत्र 2015-16 के लिये फीस वृद्धि कर सकेंगे। जब तक यह कार्यवाही पूरी नहीं हो जाती, तब तक उक्त विद्यालय पूर्व शैक्षणिक सत्र 2014-15 के लिये निर्धारित फीस ही ले सकेंगे।
आदेश की रिसीविंग जरूर लें
कलेक्टर ने प्रभारी डीईओ घनश्याम सोनी को आदेश की कॉपी भिजवाते हुए रिसीविंग लेने की बात कही है। उन्होंने श्री सोनी को यह स्पष्ट आदेश दिया है कि जो निजी स्कूल रिसीविंग न दें, उसकी जानकारी तुरंत उन्हें दी जाए, साथ ही ऐसी सूरत में स्कूल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने में कोई केाताही न बरती जाए। बढ़ी हुई राशि के रूप में वसूली गई एडमीशन फीस भी स्कूलों को वापस करनी होगी।