पता नहीं क्यों डरते हैं ये भगवद्गीता से

राकेश दुबे@प्रतिदिन। एक तरफ भारत को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत को धार्मिक सहिष्णुता का पाठ पढ़ा गए हैं, तो दूसरी ओर उनके ही एक राज्य आइडहो में भगवद्गीता के पाठ पर मतभेद उपजे हैं न अधिकांश लोग गीता पाठ के पक्षधर है| सिर्फ एक सीनेटर हैं जी गीता और हिन्दू उपासना पद्धति के विरोधी हैं आइडहो के एक रिपब्लिकन सेनेट ने कह दिया है कि स्टेट सेनेट में हिंदू पूजा हुई, तो वह इसका बहिष्कार कर देंगे। आर-डॉल्टन गार्डन्स से सेनेट स्टीव विक ने कहा है कि फर्स्ट अमेंडमेंट गैर-ईसाइयों को पूजा की इजाजत देता है, लेकिन उनका मानना है कि हिंदू को पूजा की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए।


इसके पीछे वे अजीब तर्क देते हैं कि हिंदुओं में जाति व्यवस्था है और वह गाय की पूजा करते हैं। विक यह भी कहते हैं, 'जिन धर्मों का प्रतिनिधित्व हमारे कानून बनाने वाली सभा में नहीं है, मैं नहीं मानता कि उनसे हमारे राज्य या देश को कोई मजबूती मिलेगी।'अमेरिका का आधार न सिर्फ जुडेव-क्रिस्चन धर्म था बल्कि इसका वर्क एथिक भी था और हिंदू पूजा से उसकी तौहीन होगी। दरअसल, नेवादा के जाने-माने हिंदू पुजारी राजन जेड ने सेनेट के सदस्यों से एक पुजारी रूप में सदन में जाकर भगवद्गीता का पाठ करने की इजाजत मांगी थी।

सेनेट विक ने फेसबुक पर इसका विरोध जारी रखा और कहा, 'इससे यह संदेश जाएगा कि अमेरिकी अमेरिका के रीति-रिवाज से संतुष्ट नहीं हैं, इसलिए हिंदू पूजा की इजाजत दी जा रही है।' इस विरोध के बारे में सेनेट के प्रेजिडेंट प्रो-टेम ब्रेंट हिल ने कहा, 'मैंने इस पाठ की समीक्षा की और मुझे इसमें कुछ भी गलत नहीं लगा। इसमें तो परमेश्वर की बात की कही गई है।'उधर जेड ने कहा कि वह भगवद्गीता का पाठ करके सेनेट सदस्यों से कहेंगे वे सभी हमेशा दूसरों की भलाई के लिए काम करें। विक भले ही इसका विरोध कर रहे हैं लेकिन उनका साथ एक भी सेनेट मेंबर ने नहीं दिया है।

लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com

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