रहस्य बन गई क्रिकेटर की कार: कैसे हो गई चोरी, सब के सब हैरान

इंदौर। शालीमार टाउनशिप में रहने वाले क्रिकेटर आनंद राजन की ब्रांड न्यू एसयूवी अब एक रहस्य बन गई है। क्रिकेटर ने शाम 5 बजे नई कार खरीदी और 9 बजे चोरी हो गई। पुलिस हर उस संभावित व्यक्ति को हिरासत में लेती जा रही है जिसकी ओर क्रिकेटर इशारा कर रहे हैं, अब तक 10 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है जिसमें एक जीएम लेवल का अधिकारी भी शामिल है, बावजूद इसके चोरी का कोई सुराग नहीं लगा। कार की कीमत 16 लाख रुपए है।

क्रिकेटर आनंद राजन ने गुरुवार को सागर ऑटोमोबाइल से 16 लाख रुपए में एक्सयूवी कार खरीदी थी। इसे कैनरा बैंक से फाइनेंस कराया था। शाम 5 बजे आनंद ने कार मल्टी के नीचे पार्क किया। रात 9 बजे कार चोरी हो गई। आनंद ने शोरूम वालों पर भी शक जताया था, क्योंकि दूसरी चाबी उनके पास थी।

वहीं लसूड़िया पुलिस ने शोरूम के अधिकारी सहित दस कर्मचारियों को हिरासत में ले रखा है, जिसमें शोरूम के जनरल मैनेजर कृष्णा शर्मा, एसेसरीज डिपार्टमेंट के मैनेजर मोहन चौहान, अन्य कर्मचारी व ड्राइवर हैं।

एसआई रमेश चौहान ने बताया कि प्रारंभिक जांच में पता चला है कि शोरूम से ही कार की चाबी गायब हुई थी। उसके बाद कार चोरी हुई, यानी शोरूम के कर्मचारी या किसी अफसर का इसमें हाथ है। इसके अलावा भी हम अन्य बिंदुओं पर जांच कर रहे हैं।

गार्ड की लापरवाही, रजिस्टर में नहीं हुई इंट्री
पुलिस का कहना है कि मेन गेट पर सिक्युरिटी गार्ड ने रजिस्टर मेनटेन करने में लापरवाही बरती। उन्होंने अंदर घुसने वालों की इंट्री नहीं की, जबकि एजेंसी के एमडी आरएस तिवारी का कहना है कि गार्ड रजिस्टर में इंट्रियां करते हैं। बाहर के किसी व्यक्ति ने टाउनशिप में इंट्री नहीं की थी। उनके बयान से लग रहा है कि चोर ने गार्ड को झांसा देकर रजिस्टर में इंट्री नहीं की या फिर टाउनशिप के ही किसी शख्स ने चोरी की।

फाइनेंस मैनेजर बोले, हमने पुलिस को दे दी चाबी
जहां पुलिस का मानना है कि सागर ऑटोमोबाइल शोरूम से चाबी चोरी हुई थी। वहीं, शोरूम के फाइनेंस मैनेजर समीर सिद्दीकी का कहना है कि कार फाइनेंस होने के कारण प्रोसीजर है कि एक चाबी हम अपने पास रखते हैं, जब तक कि पूरा पैसा नहीं मिल जाता। हमारे शोरूम से चाबी गायब नहीं हुई। पुलिस को हमने गुरुवार रात ही चाबी दे दी थी। जीएम श्री शर्मा हमारे यहां 12 साल से काम कर रहे हैं। उनका वेतन 75 हजार रुपए प्रतिमाह है। पुलिस उन पर शक कर रही है। हमने पुलिस को हरसंभव इंवेस्टिगेशन में साथ देने के लिए आवेदन दिया है। इसके बावजूद उन्हें दस कर्मचारियों के साथ थाने में बैठा रखा है।

नकली चाबी लगाते ही सिक्युरिटी सिस्टम हो जाते चालू, लॉक के साथ बजता सायरन
शोरूम कर्मचारियों ने बताया कि आनंद ने जो कार खरीदी। उसमें सिक्युरिटी सिस्टम था। कार की दो असली चाबी होती हैं। उसी से कार चालू होती है। यदि कोई नकली चाबी या फिर अन्य कार की चाबी से लॉक खोला जाए तो सिक्युरिटी सिस्टम चालू हो जाते हैं। गाड़ी लॉक ना भी हो तो ऑटोमैटिक लॉक हो जाती है। साथ ही सायरन भी बजने लगता है।

मेरी चाबी मेरे पास
वहीं क्रिकेटर आनंद राजन का कहना है कि जो चाबी मुझे दी गई थी, वह मेरे पास है। गाड़ी चोरी का पता चलते ही मैं लसूड़िया थाने रिपोर्ट लिखाने पहुंचा। मुझे किसी पर शक नहीं है। मैं तो पुलिस जांच पूरी होने और अपनी कार वापस मिलने का इंतजार कर रहा हूं। पुलिस ने जांच के दौरान मुझसे कोई बात नहीं की।

किसे होगा फायदा
पुलिस इस बिंदु पर भी जांच कर रही है कि कहीं बीमा के रुपए हड़पने के लिए तो साजिश नहीं रची गई। पुलिस का कहना है कि जब कार चोरी हुई तो अलार्म नहीं बजा, यानी कार चुराते समय दो में से किसी एक चाबी का इस्तेमाल किया गया। एक चाबी शोरूम में थी। दूसरी आनंद के पास। ऐसे में आनंद पर भी शक पैदा करता है। आनंद पर कर्ज तो नहीं है, पुलिस इस बारे में भी पूछताछ कर रही है। एक कर्मचारी ने बताया कि आनंद, बीमे का रुपया पाने के लिए भी चोरी करा सकते हैं। वह कार भी कहीं इस्तेमाल कर लेंगे और 90 प्रतिशत तक कंपनी उन्हें क्लेम का पैसा भी पास कर देगी।

क्लेम तो मिलेगा
खरीदी के चार घंटे बाद ही कार चोरी होने से क्लेम की राशि पर कोई फर्क नहीं पड़ता, अगर वाहन का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है तो कार मालिक को पुलिस की एफआईआर कॉपी, डीलर का विक्रय पत्र और इंश्योरेंस कंपनी का क्लेम कवर नोट देना होता है। जितनी राशि का बीमा कराया गया है। जांच के बाद कंपनी उसका भुगतान करती है। चोरी के मामले में पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट भी जरूरी है। इंश्योरेंस कंपनी वाहन मालिक को बीमे की राशि का भुगतान तभी करती है, जब वह चोरी गए वाहन की दोनों चाबियां सौंपता है।
गोविंद डांगी
इंश्योरेंस मामलों के जानकार के मुताबिक

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