गली गली बिक रही है कंजर विहस्की | दूध की टंकी में होती है शराब की तस्करी

ग्वालियर। आबकारी पुलिस की घोर लापरवाही के कारण डबरा, भितरवार, चीनोर, बिलौआ, आंतरी, पिछोर में इन दिनों कंजर विहस्की के चलन से स्थानीय ठेकेदारों की शराब बिक्री पर असर पड़ रहा है और आबकारी विभाग को लाखों रूपये की राजस्व क्षतिपूर्ति नहीं हो रही है।

कंजर जाति के लोग चांदी काट रहे है। आबकारी पुलिस खानापूर्ति करके कागजों में एक या दो छोटे छोटे केस बनाकर इतिश्री कर लेती है। हजारों लीटर अवैध कच्ची शराब डबरा के इकोना पठा टेकनपुर क्षेत्र छींमक, चीनोर और भितरवार  क्षेत्र के चकमियापुर पर कंजर जाति के लोगों द्वारा घातक रसायनों से शराब तैयार की जा रही है जो स्वास्थ्य  के लिए बहुत ही घातक है।

आबकारी पुलिस चंद चांदी के सिक्कों के खातिर न जाने इन लोगों पर कार्यवाही नहीं करती। कच्ची शराब का कारोबार डबरा एवं भितरवार अंचल कई वर्षो से अनवरत जारी है।

कंजर जाति के लोग बाईक के माध्यम से कट्टियों में भरकर कच्ची शराब एक स्थान से दूसरे स्थान तक बेचने के लिए सप्लाई करते है। चूंकि 180 एमएल सफेद का क्वार्टर 45 रूपये का होने के कारण 20 रूपये में दो कच्ची शराब की अद्दी सस्ते दामों पर मिलने के कारण लोगों के नशे का शौक पूर्ण हो जाता है। भितरवार में हरसी मार्ग पर राजस्थान से आए बंजारा जाति के लोग घाटमपुर तिराहा, सांसन तिराहे तक बागबई  तिराहे तक घाटमपुर की पुलिया कैरूआ, गोहिन्दा में कच्ची शराब बेच रहे है।

दूध की टंकियों में छिपाकर लाए जाते हैं शराब को पाउच
शराब का शौक गरीब से लेकर अमीर आदमी की जेहन में होता है। हर रोज गरीब से लेकर अमीर आदमी शराब का सेवन करता है। गरीब कलारी पर करता है तो अमीर वीयर वार या अपने ए.सी. रूम में बैठकर पीता है। लेकिन मजेदार बात तो यह है कि गरीब आदमी के लिए कंजर विहस्की के माफिया दूध की टंकियों में कच्ची शराब के पन्नी पैक पाउच दो हजार लीटर हर रोज नगर के अंदर खपाए जाते है। जिसके कारण स्थानीय ठेकेदार की शराब बिक्री पर रोक लग जाती है और आबकारी विभाग को लाखों रूपये की क्षति होती है।

मुखबिरों की दम पर करोबार
कच्ची शराब के कारोबारी अपना कारोबार मुखबिरों की दम पर करते हे । हजारों लीटर कच्ची शराब बेचने में मुखबरों को हिस्सा दिया जाता है जो आबकारी पुलिस के दस्तक से कच्ची शराब के माफियाओं को सूचित कर देते है।

ठेकेदार के मुखबिरों की दम पर होती है कार्यवाही
मजेदार बात तो यह है कि आबकारी पुलिस के पास कच्ची शराब बंद करने के लिए भले ही मुखबिर तंत्र न हो लेकिन अधिकतर नुकसान स्थानीय  ठेकेदार का होता है । इसलिए ठेकेदार की ओर से 15 से 20 मुखबिर तंत्रो को अपने क्षेत्र में मुखबरी के लिए तैनात किया जाता है जिनकी निशानदेही पर आबकारी पुलिस कार्यवाही करती है । जो कि आवकारी नीति के तहत देखा जाए तो यह गलत है क्योंकि अवैध शराब का कारोबार  बंद करने के लिए आबकारी पुलिस को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा तैनात किया गया है।

आबकारी पुलिस के पास  नहीं है मुखबिर तंत्र
कितनें दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि मध्य प्रदेश सरकार ने तहसील स्तर पर  कच्ची शराब की पावंदी लगाने के लिए सब इन्सपेक्टर और कई  हवलदारों की पोस्टिंग कर उन पर हर माह लाखों रूपये तनख्वाह के रूप में  खर्च किये जाते है और सरकार की कवायद यही रहती है कि जिस  जगह आबकारी सरकारी मशीनरी तैनात की हेै  उस जगह से आबकारी विभाग को  राजस्व घाटा न हो लेकिन आवकारी पुलिस के पास कमजोर मुखबिर तंत्र होने के कारण कंजर विहस्की माफियाओं के सिर उंचे उठे हुए है जिसके कारण डबरा एवं भितरवार अंचल में एक माह के अंदर करोडों रूपये का घाटा मध्य प्रदेश सरकार को कच्ची शराब बिकने से होता है।

विभाग को लग रही चपत
इस सर्दी  में शराब के शौकीन लोग शराब के दाम बढऩे के कारण कच्ची शराब पीकर अपना शौक पूरा करते देखे जा सकते है । नगर के गैडोल रोड़, चीनोर रोड़, पिछोर रोड़ पर सांझ ढलते ही  ये कंजर विहस्की के माफिया अपने बच्चो और महिलाओं की आड़ लेकर उनको सड़क किनारे बैठाकर अपने ग्राहको को पहचान कर कच्ची शराब के पाउच सस्ते दामों में बेचते है जब दस रूपये के पाव और बीच रूपये की अद्दी और पचास रूपये की बोतल से तीन व्यक्तियों का शराब के नशे का कोटा पूरा होता है तो फिर वह 60 रूपये स्लिवर जेट का क्वार्टर क्यों खरीदेगा ।  इस कारण आबकारी विभाग को रोजाना लाखों रूपये  का राजस्व घाटा हो रहा है ।

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