राकेश दुबे@प्रतिदिन। भारत में ऐसे 24.88 घर हैं जिसमें से 9.56 करोड़ (38.42%) में कम से कम 4 ऐसे सदस्य हैं जो पढ़ना, लिखना जानते हैं। लेकिन देश में 2.42 करोड़ (9.74%) घर हैं, जिनमें एक भी सदस्य साक्षर नहीं है। साल 2001 की जनगणना से तुलना करने पर, 35.28% घरों में 4 साक्षर सदस्य और 14.4% घरों में एक भी नहीं था। इसकी जानकारी हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में दी गई है |
भारत ने साक्षरता दर में (7 साल और उससे अधिक की जनसंख्या के बीच) एक प्रभावी छलांग लगाई है। देश की साक्षरता दर अब 74 फीसदी पर जा पहुंची है जो साल 2001 में 64.84% फीसदी पर थी। ग्रामीण इलाकों में, यह अब 68 फीसदी है जबकि शहरी इलाकों में 84 फीसदी है। साक्षरता दर की गणना एक गृहस्थ के संबंध में की जाती है जिसे आमतौर पर साथ रह रहे समूह से जाना जाता है, जो एक रसोई से अपना भोजन ले रहे होते हैं, जबतक कि काम की अनिवार्यता उन्हें ऐसा करने से रोक दे।
ग्रामीण इलाकों में, कुल 16.82 करोड़ घरों में से, 5.80 करोड़ (34.51%) घरों में कम से कम 4 साक्षर सदस्य हैं, लेकिन वहीं, 2.04 करोड़ (12.17%) घर ऐसे भी हैं जहां एक भी सदस्य साक्षर नहीं है। सात सदस्यों से ज्यादा ऐसे 7.30 लाख घर भी हैं जहां एक भी सदस्य साक्षर नहीं है। ग्रामीण इलाकों में ऐसे घर अधिक हैं। ऐसे घर जिनमें एक सदस्य भी साक्षर नहीं है, वह ज्यादातर जनजातीय इलाकों में या फिर प्रवासी मजदूरों के घर हैं। ऐसे इलाकों में, कई लोग तो स्कूलों को लेकर जागरुक भी नहीं है क्योंकि वहां बच्चों के लिए ऐसी व्यवस्था ही नहीं है। बिना किसी साक्षर सदस्य वाले ज्यादातर घर सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों वाले हैं। शहरी इलाकों में ऐसे घर उन मजदूरों के हैं जो ग्रामीण इलाकों से पलायन कर यहां पहुंचे हैं और ईंट भट्टों या निर्माणाधीन इमारतों में काम करते हैं।
लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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rakeshdubeyrsa@gmail.com
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