भोपाल। मध्यप्रदेश के गांव शहरों में ओपन स्कूल की मार्कशीट 15000 रुपए में बिक रहीं हैं। नंबर आप जो चाहें भरवा लें। यह गिरोह पूरे प्रदेश में सक्रिय है परंतु गिरफ्तारी केवल जबलपुर में हो पाई है, वो भी दो रिटेलर्स की। मास्टरमाइंड का तो अभी नाम भी पता नहीं चल पाया।
शासकीय औद्यौगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) में दाखिला पाने के लिए 40 छात्रों ने 10वीं की फर्जी अंकसूची बनवाई। इन्होंने 15-15 हजार रुपये देकर मनमाने नंबरों वाली अंकसूची ली। छात्रों की काबिलियत और अंकसूची में दर्ज अंक को देखकर संदेह होने पर कॉलेज प्रबंधन ने अंकसूची की जांच करवाई, जिसमें सभी फर्जी पाईं गईं। उसके बाद मामले की शिकायत माढ़ोताल पुलिस से की गई।
कैसे पकड़ा पुलिस ने
पुलिस ने अंकसूची बनवाने वाले युवक को हिरासत में लिया तो उसने बताया कि अधारताल निवासी विकास रैकवार से उसने 15 हजार में अंकसूची खरीदी है। विकास कॉलेज में सेकेंड ईयर का स्टूडेंट है। विकास से पूछताछ की गई तो पता चला कि रद्दी चौकी मोतीनाला निवासी समीर खान पूरे खेल का मास्टरमाइंड है। समीर ज्योति टॉकीज के पास कोचिंग चलाता है। फिलहाल वह अंडरग्राउंड है। विकास ने समीर से 16 फर्जी अंकसूची बनवाईं थीं।
कहां-कहां की अंकसूची
फर्जी पाईं गईं सभी 41 अंकसूचियां मप्र राज्य ओपन स्कूल मदरसा बोर्ड की हैं। ये जबलपुर के शासकीय उमा. विद्यालय लमकना और मझौली से 16-16 अंकसूची जारी हुई हैं। इसके अलावा 7 अंकसूची सतना जिले के शासकीय उमा. विद्यालय सोहावल से है। वर्ष 2006 से लेकर 2011 के बीच ये अंकसूची जारी की गई।
आईटीआई फर्जी अंकसूची मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। विकास रैकवार नाम के युवक ने बताया कि वह 15-15 हजार में फर्जी अंकसूची बनवाता था।
ईशा पंत
सीएसपी अधारताल