भोपाल। मध्यप्रदेश चिटफंड कंपनियों का गढ़ बनता जा रहा है। ग्वालियर एवं इन्दौर में तमाम मामले उजागर होने के बावजूद एक फर्जी चिटफंड कंपनी बैतूल के ग्रामीण इलाकों में पैसे बटोरती रही, लेकिन प्रशासन और स्थानीय मीडिया ने कुछ नहीं किया और इसी मौन के चलते वह कंपनी बैतूल से 120 करोड़ रुपए समेटकर फरार हो गई।
मिनी इंडिया के नाम से मशहूर पाथाखेड़ा से मोटी रकम लूटकर फरार हुई चिटफंड कंपनी संचालकों का सुराग नहीं लग पा रहा है। क्षेत्र की जनता ने बंगाली बंधुओं पर भरोसा कर डबल के लालच में करीब 120 करोड रुपए गवा दिए हैं।
स्थानीय पुलिस प्रशासन और बंगाली बंधुओं के करीबी दबी जुबां से कह रहे हैं कि संतोषदास एवं मंतोषदास पाथाखेड़ा छोड़कर चंद्रपुर में रहने लगे हैं और वहीं से अपना कारोबार चला रहे हैं। निवेशकों को अप्रैल से मई-जून माह के बीच रुपए लौटाने की बात बंगाली बंधुओं ने की थी, लेकिन अप्रैल माह का पखवाड़ा बीतने पर भी जब कोई भी निवेशक को रुपया नहीं मिला तो एक बार फिर निवेशक सदमें में आ गए हैं। चिटफंड कंपनी संचालक के फरार होते ही उनके करीबी एजेंट अब उन्हीं के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं। निवेशक एजेंटों पर इन दिनों इतना ज्यादा दबाव बना रहे है कि एजेंट क्षेत्र से बाहर जाने को मजबूर हो रहे हैं।
वैवाहिक कार्यक्रम रुके
डबल के लालच में आकर जिन निवेषकों ने 5 से 10 लाख रुपए चिटफंड कंपनी में निवेश किए थे। अब उन निवेषकों को रुपए नहीं मिलने से उनके यहां आयोजित वैवाहिक कार्यक्रम तक रुक गए हैं। बंगाली बंधुओं से मिल रही डेडलाइन का हवाला देकर निवेषक अपने परिवार के लोगों का हौसला बढा रहे हैं। क्षेत्र में सैकड़ों ऐसे लोग हैं जिन्होंने किराना व्यवसायी, ज्वेलर्स संचालक के माध्यम से चिटफंड कंपनी में लाखों रुपए निवेश किए थे। इसके एवज में बतौर व्यवसायी एजेंटों को मोटी रकम प्रति समप्ताह या माह में कमीशन के तौर पर मिलता था। अब निवेषक इन व्यवसायियों पर भी दबाव बनाने से परहेज नहीं कर रहे हैं।
बाजार में भारी गिरावट
औद्योगिक नगरी सारणी, पाथाखेड़ा का बाजार चिटफंड कंपनी फरार होने के बाद ठहर सा गया है। एक साल पहले पाथाखेड़ा के बाजार में तेजी से उछाल आने के कारण आसपास के क्षेत्रों की जमीनों की खरीददारी चार गुना बढ़ गई थी जो अब घटकर पूर्व की भांति है। चिटफंड कंपनी फरार होने के बाद क्षेत्र बाजार पर इतना ज्यादा असर पड़ा है कि व्यापारी हाथ-पर हाथ धरे बैठकर ग्राहकों को इंतजार कर रहे हैं, लेकिन ग्राहक नहीं पहुंच पा रहे हैं। औद्योगिक नगरी सारणी, पाथाखेड़ा के हर दूसरे छोटे-बडे व्यवसायी का रुपया चिटफंड कंपनी में लगा था। इसके चलते अब व्यापारी भी अपने आप को 5 से 10 साल पिछड़ने की बात स्वीकार रहे हैツ।