Madhya Pradesh: बिजली कंपनी ने किसान विरोधी नीति नहीं बदली, कर्मचारी विरोधी अधिकारी हटाया है

मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड ने किसान विरोधी आदेश जारी करने वाले चीफ जनरल मैनेजर को हटा दिया है लेकिन अपनी पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं किया है। इतना हंगामा हो जाने के बाद भी कंपनी यह कहने को तैयार नहीं है कि, किसानों को सिंचाई के लिए उनकी मांग के अनुरूप बिजली सप्लाई की जाएगी।

बिजली कंपनी के नए किसानो के साथ कैसा धोखा किया है, पढ़िए 

मध्य प्रदेश में बिजली की सप्लाई के लिए किस हमेशा से ही परेशान रहे हैं। स्थिति इतनी गंभीर होती है कि, भाजपा के विधायकों और मंत्रियों को विपक्षी नेताओं की तरह प्रेशर क्रिएट करना पड़ता है। 2018 के चुनाव में किसानों का वोट प्राप्त करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भरे मंच से 230 बार ऐलान किया था, मध्य प्रदेश में किसानों को सिंचाई के लिए कम से कम 10 घंटे बिजली दी जाएगी। कंपनी मैनेजमेंट ने बड़ी ही चतुराई के साथ कम से कम 10 घंटे को अधिकतम 10 घंटे में बदल दिया। यानी किसानों को किसी भी स्थिति में 10 घंटे से अधिक बिजली नहीं दी जाएगी। 

मुख्य महाप्रबंधक एके जैन को क्यों हटाया, उन्होंने क्या गलती की

मुख्य महाप्रबंधक एके जैन ने कंपनी की छुपी हुई रणनीति को सार्वजनिक कर दिया था। किसानों के खिलाफ साजिश का खुलासा हो गया था। उनको जानकारी मिली थी कि कुछ अधिकारी कंपनी की पॉलिसी का उल्लंघन करते हुए किसानों से रिश्वत लेकर 10 घंटे से अधिक बिजली सप्लाई कर रहे हैं। उनको यह भी पता चल गया था कि यदि:- 
  • एक दिन के लिए अधिक सप्लाई चाहिए तो संबंधित ऑपरेटर को रिश्वत दी जाती है। 
  • दो दिन तक अधिक आपूर्ति चाहिए तो संबंधित जूनियर इंजीनियर को रिश्वत दी जाती है। 
  • लगातार 5 दिन तक अधिक आपूर्ति चाहिए तो डीएम को रिश्वत मिलती है। 
  • लगातार 7 दिन तक 10 घंटे से अधिक बिजली आपूर्ति चाहिए तो जनरल मैनेजर को ईश्वर दी जाती है। 
इसलिए उन्होंने दिनांक 3 नवंबर 2025 को एक परिपत्र जारी किया और बिल्कुल इसी ऑर्डर में सिस्टम बना दिया कि यदि 10 घंटे से अधिक बिजली की सप्लाई की गई तो ऑपरेटर से लेकर जनरल मैनेजर तक किस प्रकार अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। 
इस परिपत्र के कारण बिजली कंपनी के अधिकारी अपने चीफ जनरल मैनेजर के खिलाफ लामबंद हो गए और अधिकारियों एवं कर्मचारियों के प्रेशर में एके जैन को वर्तमान दायित्व से पृथक कर दिया गया है। 

बिजली कंपनी ने किसान विरोधी पॉलिसी नहीं बदली

मध्य प्रदेश शासन के अंतर्गत ऊर्जा विभाग के नोडल अधिकारी श्री मनोज द्विवेदी ने प्रेस को भेजें समाचार क्र.  408 /2025 में बताया है कि:- 
1. कंपनी द्वारा 31 अगस्‍त 2020 एवं 03 नवंबर 2025 को कृषि फीडरों पर निर्धारित अवधि से अधिक विद्युत प्रदाय किये जाने पर आर्थिक दंड की वसूली किये जाने संबंधी जारी परिपत्र से भ्रम की स्थिति पैदा होने के कारण इन दोनों परिपत्रों को तत्‍काल प्रभाव से निरस्‍त कर दिया गया है। 
2. राज्‍य शासन के निर्देशानुसार मध्‍य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी अपने कार्यक्षेत्र के 16 जिलों में किसानों को घोषित अवधि में कृषि फीडरों पर 10 घंटे निर्बाध एवं गुणवत्‍तापूर्ण विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कृत संकल्पित है और इसके लिए सभी मैदानी अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिये गये हैं। 
3. माननीय मुख्‍यमंत्री जी के निर्देशानुसार मध्‍य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा मुख्‍य महाप्रबंधक श्री ए.के.जैन को अपने वर्तमान दायित्‍व से तत्‍काल प्रभाव से पृथक कर दिया है।

बिंदु क्रमांक एक के अनुसार कर्मचारियों एवं अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की व्यवस्था बनाने वाले दोनों परिपत्र निरस्त कर दिए गए हैं। इसका मतलब हुआ कि अब किसी भी कर्मचारी अधिकारी के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं होगी। इस बिंदु का किसानों से कोई संबंध नहीं है। 
बिंदु क्रमांक 2 में नोडल अधिकारी ने स्पष्ट कर दिया कि 10 घंटे बिजली दी जाएगी। इसका मतलब हुआ की 10 घंटे से अधिक नहीं दी जाएगी। चाहे उन्हें कितनी भी आवश्यकता हो, किसी भी स्थिति में 10 घंटे से अधिक बिजली नहीं दी जाएगी। इस प्रकार किसानों की समस्या का समाधान नहीं हुआ।
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