5 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा के दिन अपने घर पर दीपदान कर देव दीपावली मनाने का तरीका

कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा किनारे देव दीपावली मनाई जाती है। इस दिन दीपदान का महत्व होता है। लोग पवित्र नदियों के किनारे दीपदान करते हैं। यदि आप किसी ऐसे स्थान पर हैं जो गंगा के किनारे नहीं है या फिर आपके आसपास कोई पवित्र नदी नहीं है तो फिर आप अपने घर पर दीपदान करके देव दीपावली मना सकते हैं। यहाँ दीपदान से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें और आप घर पर इसे कैसे कर सकते हैं, इसकी जानकारी दी गई है: 

घर पर दीपदान का महत्व और स्थान 

वैसे तो गंगा जैसे पवित्र नदी के घाटों पर दीपदान करना सबसे शुभ माना जाता है, लेकिन यदि आप वहाँ नहीं जा सकते, तो घर पर दीपदान करना भी समान रूप से फलदायी माना जाता है। तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है। तुलसी के समक्ष दीप जलाने से घर में सुख-समृद्धि आती है। 
घर का मुख्य द्वार (Main Entrance): घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाने से नकारात्मकता दूर होती है और माँ लक्ष्मी का आगमन होता है। 
मंदिर या पूजा स्थान: भगवान विष्णु, शिव और देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए। 
पीपल या आँगन/छत: शुभता और दिव्य ऊर्जा के संचार के लिए। 
जल स्रोत (यदि हो): यदि घर में कोई छोटा तालाब या जलपात्र है, तो उसमें भी दीपक प्रवाहित कर सकते हैं। 

दीपदान कब और कैसे करें? 

समय (Muhurat): आप सुबह पवित्र स्नान के बाद दीपदान कर सकते हैं। हालांकि, शाम के समय चंद्रोदय होने पर (यानी देव दीपावली के शुभ मुहूर्त में) दीपदान करना सबसे उत्तम माना जाता है। 
दीपक की संख्या (Number of Diyas): आप अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार दीपक जला सकते हैं।विषम संख्या (Odd numbers) जैसे 5, 7, 11, 21, 51, या 101 में दीपक जलाना शुभ माना जाता है।कुछ मान्यताओं के अनुसार, 365 बाती वाला दीया जलाना भी अत्यंत शुभ होता है, जो पूरे वर्ष के दीपदान के बराबर पुण्य देता है। 

दीपदान की विधि: 

  • स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें। 
  • दीपक में शुद्ध घी या सरसों का तेल का इस्तेमाल करें। 
  • दीपदान करते समय भगवान विष्णु और शिव का स्मरण करें, और मंत्र "ॐ नमो नारायणाय" या "ॐ नमः शिवाय" का जाप करें। 
  • सच्चे मन से जलाया गया एक दीपक भी अक्षय फल देता है। 
  • घर पर दीपदान करने से आपके जीवन में शांति, सौभाग्य, धन की वर्षा होती है और यह आपके पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी बहुत उपयोगी माना जाता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख भारतीय धर्म की मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। इसका कभी कोई वैज्ञानिक परीक्षण नहीं किया। 
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