मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर सोशल मीडिया पर भारत में कई इन्फ्लुएंसर्स बता रहे हैं कि, अमेरिका के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसा नहीं है। वह अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए साल के अंत तक अपने रिजर्व में से गोल्ड बेच सकता है। यदि ऐसा हुआ तो सोना एक लाख के नीचे चला जाएगा। कुछ लोग पुराने उदाहरण देकर बता रहे हैं कि, सोने के दाम में 50% तक की गिरावट होने वाली है। आईए जानते हैं कि इन खबरों में कितनी सच्चाई है:-
इतिहास में सोने के दाम में भारी गिरावट कब-कब हुई है
GOLD PRICE में सबसे बड़ी गिरावट 1999 से 2001 के बीच में हुई थी। 1980 में सोने के दाम अपने ऑल टाइम हाई पर थे। इसके बाद लगभग 19 साल तक सोना अप डाउन होता रहा लेकिन 1999 से सोने के दाम में तेजी से गिरावट दर्ज होती गई और 2001 तक सोने के दाम में अपने ऑल टाइम हाई (1980 के मूल्य) से लगभग 75% की गिरावट हो गई थी।
2011 में गोल्ड ऑल टाइम हाई पर था। 2013 में 20% से ज्यादा गिरावट का झटका लगा। इसके बाद अप डाउन होता रहा लेकिन 2015 से लगातार गिरना शुरू हुआ और 2016 तक (2011 के अधिकतम मूल्य की तुलना में) लगभग 45% की गिरावट दर्ज हो गई थी।
क्या अमेरिका ने अपने रिजर्व में से कभी गोल्ड बेचा है
1933-34 में राष्ट्रपति Franklin D. Roosevelt ने जनता के निजी स्वामित्व में रखा सोना जब्त कर लिया और U.S. Treasury में ट्रांसफर किया। गोल्ड रिज़र्व में भारी बढ़ोतरी हुई। माना जा रहा था कि वह जनता से जप्त किया गया सोना बेचकर अमेरिका की आर्थिक स्थिति ठीक करेंगे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। बाद में स्पष्ट हुआ कि, अमेरिका “Gold Standard” को मजबूत करना चाहता था और डॉलर को सोने से जोड़कर नियंत्रित रखना चाहता था।
1950-60 के दौरान दुनिया के कई देश डॉलर वापस करके अमेरिका से सोना मांग रहे थे। तब Bretton Woods System के तहत अमेरिका ने दूसरे देशों को सोना बेचना शुरू किया ताकि डॉलर को गोल्ड से बैक किया जा सके।
1971 में राष्ट्रपति Richard Nixon ने डॉलर को सोने से अलग कर दिया (Gold Convertibility खत्म)। उसके बाद अमेरिका ने सोना बेचना लगभग बंद कर दिया।
1973 से 1979 के बीच अमेरिकी ट्रेजरी और IMF दोनों ने गोल्ड ऑक्शन के जरिए रिज़र्व का हिस्सा बेचा लेकिन 1980 के बाद अमेरिका ने अपने रिजर्व का गोल्ड बेचना बंद कर दिया। अंतरराष्ट्रीय स्थिति को देखकर कभी थोड़ा बहुत गोल्ड बेचा गया लेकिन यह मात्रा बहुत कम थी। इसके कारण गोल्ड प्राइस पर कोई असर नहीं पड़ा।
क्या अमेरिका अपने रिजर्व का गोल्ड बेच सकता है
अमेरिकी ट्रेजरी और फेडरल रिजर्व के पास दुनिया का सबसे बड़ा (लगभग 8,133 टन) सोने का रिजर्व है। अमेरिका के सरकारी दस्तावेजों में इसका मूल्य केवल $11 बिलियन दिखाया जाता है लेकिन यदि 2025 की कीमत के आधार पर वैल्यूएशन करते हैं तो अमेरिका के पास मौजूद गोल्ड रिजर्व का मूल्य $1 ट्रिलियन है। वर्तमान में अमेरिका की जीडीपी लगभग $29.65 ट्रिलियन (2025 अनुमान) है और अमेरिका के ऊपर
$38 ट्रिलियन से अधिक का लोन है। यानी की अमेरिका की जीडीपी का 128% लोन है। यह चिंता की स्थिति है लेकिन गोल्ड रिजर्व को बेच देने से समस्या का समाधान नहीं होगा। क्योंकि टोटल गोल्ड रिजर्व का मूल्य सिर्फ $1 ट्रिलियन है, और फिर अमेरिका के ऊपर लोन चुकाने का दबाव भी नहीं है।
क्या अमेरिका के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसा नहीं है
यह बात सही है कि अमेरिका की सरकार के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए फंड नहीं है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अमेरिका के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसा नहीं है। दरअसल, अमेरिका की संसद (कांग्रेस) ने सरकार का फंड पास नहीं किया है। इसलिए अमेरिका में सैनिकों और कर्मचारियों को वेतन देने के लिए तत्काल पैसा नहीं है लेकिन जैसे ही यह पॉलिटिकल प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी। वैसे ही सब कुछ सामान्य हो जाएगा।
तो क्या गोल्ड के प्राइस नहीं गिरेंगे
अब तक के अध्ययन से एक बात स्पष्ट हो गई है कि, अमेरिका अपने रिजर्व का गोल्ड बड़े पैमाने पर बेचने के मूड में नहीं है और ऐसी कोई परिस्थिति भी नहीं है। इसलिए अमेरिका द्वारा गोल्ड भंडार बेचने से सोने के दाम में बड़ी गिरावट की संभावना वाले समाचारों में कोई दम नहीं है। यदि दुनिया के अन्य देशों की सरकारों ने लगातार गोल्ड खरीदना बंद कर दिया, तब गिरावट की संभावना बन सकती है, लेकिन यह 25% से अधिक नहीं होगी। हां यह जरूर हो सकता है कि भारत में निवेशकों द्वारा बड़े पैमाने पर प्रॉफिट बुकिंग करने पर कुछ समय के लिए सोने के दाम ₹100000 से कम, लगभग 99 हजार रुपए तक जा सकते हैं।
.webp)