मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे को निपटने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा आयोजित सर्वदा लिए बैठक के बाद दिनांक 3 सितंबर को दिल्ली में और 13 सितंबर को भोपाल में आयोजित हुई वकीलों की मीटिंग के बाद 27% ओबीसी आरक्षण और 13% HOLD पदों पर नियुक्ति का मामला खटाई में चला गया है। दिल्ली वाली मीटिंग के बाद इस मामले को लेकर काफी मीडिया बाजी हुई थी। अनुमान है कि इस बात से मध्य प्रदेश के महाधिवक्ता नाराज हो गए हैं और उन्होंने अगला कदम नहीं उठाया जबकि 20 सितंबर को फाइनल सबमिशन सुप्रीम कोर्ट में फाइल करना है।
मध्य प्रदेश 27% ओबीसी आरक्षण: फाइनल राउंड में क्या हुआ
3 सितंबर को दिल्ली के मध्य प्रदेश भवन में वकीलों की बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक में वकीलों के साथ वह उम्मीदवार भी पहुंच गए जिनकी नियुक्ति 13% HOLD के कारण अटकी हुई है। महाधिवक्ता ने इसे अनुशासनहीनता माना और इस विषय पर कोई चर्चा नहीं की जबकि ओबीसी पक्ष के वकील और उम्मीदवारों का कहना था कि, 13% HOLD का आदेश हाईकोर्ट नहीं बल्कि महाधिवक्ता ने दिया है और उन्हें अपना आदेश तत्काल वापस लेना चाहिए।
ओबीसी महासभा द्वारा दो वकीलों (पी. विल्सन और शशांक रतनू) के नाम का सुझाव दिया गया था। मध्य प्रदेश सरकार की ओर से दोनों वकीलों के नाम कोई आधिकारिक पत्र जारी नहीं किया गया है।
ओबीसी आरक्षण के मामले में समन्वय के लिए बनाई गई समिति के सदस्य, वरिष्ठ अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं उनके साथियों का कहना है कि सरकार ने उनसे अब तक कोई संपर्क नहीं किया है। ना तो कोई बड़ा रोड मैप ड्राफ्टिंग कमेटी बनी है और ना ही सरकार की तरफ से कोई रोड मैप प्रस्तुत किया गया है।