Language की अपूर्णता के Reason ऐसे अनेक कार्य है जो शाब्दिक (Literal) दृष्टि से किसी Crime के अंतर्गत आते हैं लेकिन उनके पीछे कोई Criminal भावना नहीं रहती हैं, अतः उन्हें Crime मानना Public interest में नहीं होगा। अर्थात किसी दूसरे व्यक्ति का पेन उसकी मर्जी के बिना उठाना Theft का Crime हैं, किसी व्यक्ति के पास से तेज speed में कार से धूल उड़ाते हुए जाना रिष्टि का Crime है, बस में या भीड़ वाले place में पैर रखना या धक्का मुक्की (push and shove)होना चोट या Tampering का Crime हो सकता है लेकिन क्या इनके लिए Criminal कार्यवाही चलाना justifiable होगा?
Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 की धारा 33 की परिभाषा
अगर कोई व्यक्ति sporadic या minor बातो को लेकर Complaint करता है जो गंभीर (Cognates) अपराध नहीं है तब ऐसा कृत्य BNS की धारा 33 के अंतर्गत अपराध नहीं होगा।
उदाहरण अनुसार :- Sadanand vs Shivakali Hazara
उपर्युक्त मामले में शिकायतकर्ता ने आरोपी के विरुद्ध IPC की धारा 506 (अब BNS की धारा 79 होगी) के अधीन झूठ बोलने का आरोप लगाया था। इस वाद मे Court ने विनिश्चित किया कि विधि का यह एक प्राथमिक सिद्धांत है कि वह तुच्छ बातो(छुट-मुट बातों) की और ध्यान नहीं देती है। यदि कुछ शब्दों के कहने पर कोई व्यक्ति आपराधिक कार्यवाही की परेशानियों में पड़ जाए तो वर्तमान सभ्य समाज में लोगों का एक-दूसरे से आपसी संपर्क तथा मेल-जोल रखना ही दूभर हो जाएगा।
The Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 section 33, Punishment
Narayanan vs State of Kerala :- मामले ने न्यायालय ने भारतीय दण्ड संहिता की धारा 341 सदोष अवरोध (अब BNS की धारा 126(2) होगी )के अपराध को तुच्छ अपहानि का अपराध मानते हुए आरोपी को बरी कर दिया क्योंकि सभ्य समाज मे छोटी-मोटी बातों को अपराध नहीं माना जाता है।
✍️लेखक: बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार, होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article. डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।