Stanford USA ने दिमाग पढ़ने वाला कंप्यूटर बनाया, Science and Technology की सबसे बड़ी खबर

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Science and Technology के क्षेत्र में आज की सबसे बड़ी खबर या फिर कहिए कि मानव इतिहास के महत्वपूर्ण नवाचारों में से एक, संयुक्त राज्य अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में किया गया। एक ऐसा कंप्यूटर बना लिया गया है जो दिमाग पढ़ने में सक्षम है। अर्थात वह यह पता लगा सकता है कि आप अपने मन में क्या सोच रहे हैं। 

Stanford University: Brain-computer Interface

भारतीय बॉलीवुड फिल्मों में, 90 के दशक में, इस तरह के दृश्य मिलते हैं। जब फिल्म का हीरो या हीरोइन, विलेन के मन की बात पढ़ लेते हैं। कुछ भारतीय धार्मिक कथाओं में भी इस प्रकार के प्रसंग मिलते हैं जब कोई देवता या ऋषि-मुनि किसी दूसरे व्यक्ति की मन की बात सुन लेते थे। आज से पहले तक यह सब कुछ काल्पनिक कहानी थी परंतु आज हमारे सामने एक सफल प्रदर्शन उपस्थित है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसचर्स ने एक ऐसा ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस डेवलप कर लिया है, जो यह बता सकता है कि कोई व्यक्ति अपने मन में क्या सोच रहा है। 

Brain-computer Interface: पहला प्रयोग 74% सफल

amyotrophic lateral sclerosis और brainstem stroke जैसी बीमारियों से पीड़ित चार व्यक्तियों को इस प्रयोग में शामिल किया गया। भारत में इन बीमारियों को लकवा कहते हैं। जब कोई व्यक्ति अपने मुंह से बोल नहीं प पाता है। इनमें से एक व्यक्ति तो ऐसा था जिसका पूरा शरीर निष्क्रिय हो गया था। केवल आंख हिल रही थी और वह आंख ही लाकर ही लोगों को हां या ना में संकेत करता था। पहले ट्रायल में कंप्यूटर ने उन शब्दों को बोलकर बताया, जो मरीज कहना चाह रहे थे। लेकिन इस दौरान कंप्यूटर ने वह शब्द भी बोलकर बता दिए जो मरीजों द्वारा देखे जा रहे थे। उदाहरण के लिए उन्होंने दीवार पर कैलेंडर देखा और उसके ऊपर लिखे हुए 2025 को मन में पढ़ा। कंप्यूटर ने वह भी बता दिया। 

ट्रायल में पाया गया की बहुत सारे अनुपयोगी शब्द भी मिल रहे हैं। एक व्यक्ति बोलते हुए जो सोच रहा है वह दोनों शब्द एक दूसरे से मिक्स हो रहे हैं। इसलिए फिर एक काल्पनिक पासवर्ड ट्रिगर किया गया। एक प्रकार का स्विच बनाया गया। ताकि जब वह किसी से बोलना चाहें, केवल उतने ही समय के लिए कंप्यूटर काम करेगा। यह प्रयोग 74% सफल रहा। इसको 98% तक सफल बनाने के लिए अभी काफी काम करना बाकी है। 

study lead author Erin Kunz, a neuroscientist at Stanford द्वारा इसकी घोषणा की गई एवं Stanford neurosurgery assistant professor Frank Willett द्वारा इसकी जानकारी दी गई। 
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