Raksha bandhan 2025 date time muhurat - विशेष योग एवं रक्षाबंधन की कथा

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श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है। इस वर्ष 9 अगस्त 2025 को भारत और अमेरिका के साथ पूरे विश्व में मनाया जाएगा। यह भारत का प्रमुख त्यौहार है लेकिन भारत के साथ नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, मॉरीशस, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यहां तक की सऊदी अरब में भी मनाया जाता है। हो सकता है आपकी जानकारी के लिए नया हो, कैरेबियन द्वीप समूह (त्रिनिडाड और टोबैगो) में भी रक्षाबंधन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। क्योंकि इस देश में भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं।

RAKHI KA MUHURAT

सबसे बढ़िया बात है कि इस साल राखी पर कोई भी भद्रा का साया नहीं है। यानी कि सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक कभी भी राखी बांध सकते हैं। कुछ विद्वान राहुकाल का विचार करते हैं लेकिन राहुकाल का विचार यात्रा के लिए किया जाना चाहिए। अर्थात कोई भी भाई अथवा बहन राहुकाल में अपने घर से रक्षाबंधन के लिए नहीं निकले, बस इतनी चिंता करनी है। ज्योतिषियों के मुताबिक रक्षाबंधन पर राहुकाल: भारतीय समय के अनुसार सुबह 9 बजकर 07 मिनट से 10 बजकर 47 मिनट तक रहने वाला है। अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, यूरोपीयन कंट्रीज और मिडिल ईस्ट के देश में रहने वाले भारतीय नागरिक भारतीय समय के अनुसार अपने समय का निर्धारण करें। यह लगभग 2 घंटे का समय है। यदि संभव होता है तो इस दौरान रक्षाबंधन भी ना करें, लेकिन शास्त्रों में इसे वर्जित नहीं बताया गया है।

रक्षाबंधन की कथा क्रमांक 1 

द्वापर युग में शिशुपाल का वध करते समय सुदर्शन चक्र से भगवान श्री कृष्ण की उंगली कट गई थी। तत्समय द्रौपदी ने अपने पल्लू को फाड़ कर भगवान श्री कृष्ण की उंगली से बहते हुए रक्त को रोक दिया था। इस प्रसंग के बाद से ही द्रौपदी को "कृष्णा" के नाम से पुकारा गया। इसके बाद से महिलाएं भगवान श्री कृष्ण को रेशम के धागे से बने रक्षा सूत्र बांधती हैं एवं प्रार्थना करती है कि जिस प्रकार आपने कौरवों की सभा में द्रोपदी की रक्षा की थी, ठीक उसी प्रकार हमारी भी रक्षा करना। 

रक्षाबंधन की कथा क्रमांक दो

शुक्राचार्य की रणनीति के चलते राजा बलि तीनों लोकों का स्वामी हो गया। इसके कारण ब्रह्मांड का संतुलन बिगड़ गया। भगवान श्री हरि विष्णु ने वामन अवतार लिया और दो पग में पूरा ब्रह्मांड मुक्त करवा लिया। तीसरे पग के लिए राजा बलि ने स्वयं को समर्पित कर दिया। यह देखकर भगवान श्री हरि विष्णु प्रसन्न हो गए। उन्होंने राजा बलि से वरदान मांगने को कहा। राजा बलि ने भगवान श्री हरि विष्णु से प्रार्थना की कि आप मेरे शेष जीवन तक मेरे साथ रहें। इस वरदान के कारण श्री हरि विष्णु, माता लक्ष्मी से अलग हो गए। तब माता लक्ष्मी एक निर्धन महिला का रूप धारण करके राजा बलि के द्वार पर पहुंची। उन्होंने राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधा, राजा बलि ने माता लक्ष्मी को अपनी बहन के रूप में स्वीकार किया और रक्षा सूत्र बांधने के बदले में उपहार स्वरूप श्री हरि विष्णु को मुक्त कर दिया। 

संस्कृत का यह श्लोक तो आपने भी सुना होगा। यह इसी प्रसंग का श्लोक है। 
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:। 
तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।। 
पृथ्वी से लेकर स्वर्ग तक पूरे ब्रह्मांड में जब भी कोई किसी को रक्षा सूत्र बनता है तो वह इसी श्लोक का वाचन करता है।
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