जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता उर्मिला सिंग के पक्ष में एक महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश पारित किया है। माननीय मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश विनय सराफ की युगल खंडपीठ ने जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि याचिकाकर्ता को स्थानांतरित स्कूल में joining के लिए बाध्य न किया जाए। यह फैसला उर्मिला सिंग बनाम मध्य प्रदेश शासन मामले में सुनवाई के दौरान लिया गया।
उर्मिला सिंग अतिशेष शिक्षक नहीं थीं, फिर भी ट्रांसफर कर दिया
याचिकाकर्ता उर्मिला सिंग का स्थानांतरण 16 जून 2025 को शासकीय माध्यमिक स्कूल सिलोंडी से शासकीय माध्यमिक स्कूल पुरवा में किया गया था। इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन प्रारंभिक तौर पर अंतरिम राहत न मिलने पर उन्होंने युगल खंडपीठ के समक्ष WA 1941/25 अपील दायर की। याचिकाकर्ता का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता सत्येंद्र ज्योतिषी ने बताया कि उर्मिला सिंग अतिशेष शिक्षक नहीं थीं, फिर भी उनका स्थानांतरण नियमों के विरुद्ध किया गया। शासन की transfer policy के अनुसार, वरिष्ठ शिक्षकों को ही अतिशेष माना जाना चाहिए।
उर्मिला सिंग एक परित्यक्ता महिला हैं और आदिवासी महिला हॉस्टल की प्रभारी के रूप में वार्डन का अतिरिक्त प्रभार संभाल रही हैं। उनके साथ उनका 60% विकलांग भतीजा भी रहता है। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ता को स्थानांतरित स्कूल में joining के लिए मजबूर न किया जाए। इसके तहत उर्मिला सिंग अपनी पूर्व संस्था, शासकीय माध्यमिक स्कूल सिलोंडी में कार्यरत रहेंगी।
इस मामले में याचिकाकर्ता का पक्ष अधिवक्ता सत्येंद्र ज्योतिषी ने प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। यह निर्णय स्थानांतरण नीति और शिक्षकों के अधिकारों से संबंधित मामलों में एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है। अगली सुनवाई में प्रकरण पर और विस्तृत चर्चा की उम्मीद है।