मध्य प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था भी बड़ी अजीब है। यहां पर एक कंप्यूटर ऑपरेटर किसी की भी जिंदगी बर्बाद कर सकता है और उसके द्वारा की गई गलती को सुधारने के लिए फाइल को संचालनालय तक भेजना पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग के एक बेवकूफ कंप्यूटर ऑपरेटर ने 52 वर्षीय महिला कर्मचारी को 62 वर्षीय घोषित करके रिटायर करवा दिया। गलती ऑपरेटर ने की है लेकिन परेशान महिला कर्मचारी को होना पड़ रहा है। वह हर अधिकारी के दरवाजे पर तमाम सबूत लेकर खड़ी है। बता रही है कि उसकी उम्र 52 वर्ष है। अभी उसकी 10 साल की नौकरी बाकी है, समझ में सबको आ रहा है, लेकिन कोई कुछ नहीं कर पा रहा है। क्योंकि कुछ करने का अधिकार केवल संचालन के पास है।
१९७३ को अंग्रेजी अंक में 1963 टाइप कर दिया
मामला इंदौर के लाल अस्पताल में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ललिता यादव का है। पति दिलीप का वर्ष 2016 में निधन हो गया था, जिसके बाद अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। ललिता की जन्म तारीख 12 मार्च 1973 है, जो मार्कशीट और सर्विस बुक में हिंदी अंकों में १२ मार्च १९७३ लिखी है। हिंदी शब्दों में भी बारह मार्च तिहोत्तर लिखा हुआ है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के ऑपरेटर ने जब रिकॉर्ड ऑनलाइन किया तो १९७३ को अंग्रेजी अंक में 1963 टाइप कर दिया। इसके बाद विभाग के स्थापना प्रभारी ने ललिता को सूचना दी गई कि शासन ने उनको सेवानिवृत्त कर दिया है।
गलती कंप्यूटर ऑपरेटर ने की है, सुधार कोई नहीं कर रहा
इस संबंध में महिला कर्मचारियों ने कार्यालय में बताया भी कि जन्म वर्ष में गलती हुई है, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। उच्चाधिकारियों से शिकायत की तो अधिकारियों ने जांच की। इसमें सामने आया है कि गलती हुई है।
डॉ. जीएल सोढ़ी, सिविल सर्जन
'महिला कर्मचारी की जन्म तारीख में गलती हुई है, जिसके कारण वह समय से पहले सेवानिवृत्त हो गई है। हमने सुधार के लिए भोपाल स्थित संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं को पत्र लिखे हैं। वहां से जल्द ही सुधार हो जाएगा।'
इसके बाद सिविल सर्जन द्वारा संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं के वरिष्ठ संयुक्त संचालक को सुधार कर जून से रुके वेतन को देने के लिए कई पत्र लिखे। इनमें लिखा है कि ललिता की जन्म तारीख 12-03-1973 है, लेकिन IFMIS PORTAL में 12-03-1963 उल्लेखित हो रहा है। इस कारण कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गई हैं। इसमें सुधार किया जाए लेकिन संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं के वरिष्ठ संयुक्त संचालक द्वारा इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। फाइल को पेंडिंग कर दिया गया है। हाल ही में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने किसी भी फाइल को इस प्रकार से पेंडिंग करने को भ्रष्टाचार का नया तरीका बताया है, लेकिन राजधानी के अधिकारी...।
कंप्यूटर ऑपरेटर को सस्पेंड क्यों नहीं किया?
इस मामले में एकमात्र सवाल ही है कि जब जांच हुई और कंप्यूटर ऑपरेटर की गलती पाई गई। कंप्यूटर ऑपरेटर की बेवकूफी के कारण एक कर्मठ महिला कर्मचारी को परेशान होना पड़ रहा है। फिर क्या कारण है कि कंप्यूटर ऑपरेटर को अब तक सस्पेंड नहीं किया गया। क्या यह रिश्वतखोरी का एक नया तरीका है। IFMIS PORTAL पर गलत एंट्री करवाओ और फिर कर्मचारियों को परेशान करो। संचालनालय में उसकी फाइल को पेंडिंग कर दो। मजबूरी में कर्मचारी भोपाल आएगा। जब तक रिश्वत नहीं देगा तब तक उसको उसके हिस्से का न्याय नहीं मिलेगा?
क्या इस प्रकार की रिश्वतखोरी केवल वरिष्ठ संयुक्त संचालक ही कर रहे हैं या फिर इसका एक हिस्सा मंत्री तक भी जाता है। सवाल तो बनता है क्योंकि फाइल पेंडिंग है, वरना क्या कारण है। गलती करने वाला कंप्यूटर ऑपरेटर नियमित रूप से सैलरी प्राप्त कर रहा है और ईमानदारी से काम करने वाली महिला कर्मचारी को परेशान होना पड़ रहा है।