मध्यप्रदेश में लगभग सभी विभागों में ई अटेंडेंस लगाने के आदेश जारी किए जा रहे है इसके लिए सार्थक एप का उपयोग किया जा रहा है परंतु स्कूल शिक्षा विभाग में हमारे शिक्षक मोबाइल एप का प्रयोग किया जा रहा है। इस मोबाइल एप्लीकेशन के उपयोग के पहले चरण में ही बहुत सारी गड़बड़ी सामने आ गई। ऐसा लगता है जैसे मोबाइल एप्लीकेशन 4 लाख शिक्षकों की अटेंडेंस के लिए डेवलप ही नहीं की गई है। जैसे किसी को मालूम था कि, शिक्षकों द्वारा विरोध किया जाएगा और मोबाइल एप्लीकेशन का उपयोग बंद कर दिया जाएगा इसलिए केवल खानापूर्ति के लिए मोबाइल एप्लीकेशन को डेवलप किया गया है।
Hamare Shikshak APP 10000 शिक्षकों पर ही क्रैश हो गया
हमारे शिक्षक एप की स्थिति यह है कि पहले दिन 4 लाख में से लगभग 10000 शिक्षकों ने जब उपस्थिति लगाने का प्रयास किया तो एप का सर्वर पूरी तरह फैल हो गया। अभी भी एप पर अटेंडेंस लगाने में कोई न कोई परेशानी आ रही है। कई बार तो अटेंडेंस लगाने में 30 से 45 मिनिट लग रहे हैं।
इसका मतलब हुआ कि मोबाइल एप्लीकेशन को चार लाख शिक्षकों की अटेंडेंस के लिए तैयार नहीं किया गया है। यह एक घोटाला है। यदि एक साथ 40000 शिक्षकों ने भी उपयोग किया तो इस मोबाइल एप्लीकेशन का मासिक खर्च 40 लाख रुपए तक जा सकता है। वह भी तब जब मोबाइल एप्लीकेशन को सोशल मीडिया, स्ट्रीमिंग जैसी कैटेगरी में डाला गया हो।
Hamare Shikshak APP - ऑन ड्यूटी का कोई ऑप्शन नहीं
शिक्षक आये दिन किसी न किसी काम से ब्लॉक या जिला कार्यालय जाते हैं जैसे मूल्यांकन कार्य, पुस्तकें उठाने, साइकल लेने इत्यादि। ऐसी स्थिति में ऑन ड्यूटी दर्ज करने का कोई विकल्प एप में नहीं है। न ही इसके संबंध में कोई निर्देश है। ऑन ड्यूटी का ऑप्शन न होने से उसकी उपस्थिति या तो लगेगी नहीं या फिर गलत लोकेशन से लगेगी।
इसका मतलब हुआ कि मोबाइल एप्लीकेशन की प्लानिंग में कोई ऐसा व्यक्ति शामिल ही नहीं था जिसे शिक्षक के कर्तव्य और काम करने का तरीका पता हों। मोबाइल एप्लीकेशन के डेवलपमेंट से पहले R&D नहीं हुआ। जबकि सरकार की ओर से जब भी मोबाइल एप्लीकेशन या किसी भी प्रकार के टेक्निकल डेवलपमेंट काम किए जाते हैं तो उससे पहले रिसर्च एंड डेवलपमेंट जरूरी होता है। इसके लिए एक बड़ा बजट होता है। यह एक घोटाला है।
3. FAKE GPS लोकेशन, सिक्योरिटी सिस्टम फेल
हमारे शिक्षक मोबाइल एप्लीकेशन में अटेंडेंस के लिए जीपीएस लोकेशन एवं कैमरा द्वारा फ़ोटो का प्रयोग किया जा रहा है। इस एप में फाइनेंशियल एप जितनी क्षमता नहीं है कि ये फेक लोकेशन बताने वाली एप को पहचान सके। जिसके कारण बदमाश कर्मचारियों द्वारा फेक जीपीएस लोकेशन सेट करके घर से या रास्ते से ही अटेंडेंस लगाई जा रही है। इस प्रकार के फेक जीपीएस के लिए एप स्टोर पर कई एप उपलब्ध हैं जो किसी भी व्यक्ति की लोकेशन उसकी मनचाही जगह पर सेट कर देते है जिससे अटेंडेंस वाले एप धोखा खा जाते हैं। इसका परिणाम ये है कि सीधे सादे और ईमानदार कर्मचारी परेशान होंगे और मक्कार जो पहले भी मजे कर रहे थे आगे भी मजे करते रहेंगे।
इसका मतलब हुआ कि मोबाइल एप्लीकेशन का कोई सिक्योरिटी सिस्टम ही नहीं है या फिर यदि कोई है तो वह बिल्कुल घटिया है। कुछ इस तरह जैसे कोई बूढ़ा और बीमार आदमी दरवाजे पर सिक्योरिटी गार्ड बनकर बैठा दिया जाए। जबकि सरकारी खजाने से तो 32 साल से कम और शारीरिक रूप से इंडियन आर्मी के मापदंड पूरे करने वाला जवान नियुक्त करने के लिए पैसा दिया गया हो। यह एक घोटाला है।
कुल मिलाकर पहले चरण में जबकि भारी विरोध हो रहा है, एक बात स्पष्ट हो गई है कि Hamare Shikshak APP, चार लाख शिक्षकों के अटेंडेंस के लिए तैयार नहीं किया गया है। 1000 से ज्यादा शिक्षा कौन है गूगल प्ले स्टोर पर इस मोबाइल एप्लीकेशन को लेकर रिव्यू लिखे हैं। ज्यादातर शिक्षकों ने ऐसे एक घटिया मोबाइल एप्लीकेशन बताया है। एवरेज स्टार रेटिंग केवल 2.9 है।
Hamare Shikshak APP को Unskilled के द्वारा डेवलप किया गया है। क्योंकि इस मोबाइल एप्लीकेशन को गूगल प्ले स्टोर पर "Education" कैटेगरी में डाला गया है जबकि यह मोबाइल एप्लीकेशन तो एक एम्पलाई अटेंडेंस सिस्टम है। इसके माध्यम से पढ़ाई नहीं होती। गूगल प्ले स्टोर पर "Govt MP School Education Department" के नाम से अकाउंट बनाया गया है। जबकि डिजिटल उपयोग के लिए सही नाम "MP Education Department" है। यदि इसे स्वीकार भी कर दिया जाए तो विकल्प के तौर पर नीचे दिए गए नाम में से कोई एक हो सकता है:-
- Government of Madhya Pradesh Department of School Education
- Madhya Pradesh Department of School Education
- MP School Education Department
किसी भी हालत में, एक ग्रेजुएट व्यक्ति "Govt MP School Education Department" नाम नहीं दे सकता और एक सरकारी कर्मचारी इसको अप्रूव नहीं कर सकता। यह तो तभी होता है जब अधिकारी खुद खाना पूर्ति करना चाहे और उसका सिर्फ एक उद्देश्य हो कि मोबाइल एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर दिखाई देनी चाहिए, ताकि पेमेंट किया जा सके।
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