मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की झीलों में मनुष्य और जानवर दोनों के लिए खतरनाक स्तर तक माइक्रो प्लास्टिक के कण पाए जाने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सेंट्रल बेंच में BMC- भोपाल नगर निगम के वकील ने वैज्ञानिकों की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा है। NGT इस मामले में फाइनल हियरिंग के लिए 8 अगस्त 2025 की डेट घोषित कर दी है।
AMPRIE की रिपोर्ट में खुलासा हुआ था
यह मामला AMPRIE (Advanced Materials Process Research Institute) कि उस रिपोर्ट से संबंधित है जो CAG द्वारा सार्वजनिक की गई। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भोपाल के बड़े तालाब के पानी में 1480 से 2050 कण प्रति घनमीटर मिले हैं, जबकि छोटे तालाब में यह प्रति घनमीटर 2160 से 2710 हैं।
पानी में माइक्रो प्लास्टिक, ट्रीटमेंट के बाद भी खत्म नहीं होते
केरवा बांध के प्लांट में उपचार से पहले पानी में माइक्रो प्लास्टिक 820 कण प्रति घन मीटर था और ट्रीटमेंट के बाद 450 मिले। इसी तरह बिड़ला मंदिर के वाटर ट्रीटमेंट से पहले 790 कण और ट्रीटमेंट के बाद 330 कण प्रति घन मीटर मिले। कैग के मुताबिक जो नमूने लिए गए हैं, उनमें माइक्रोप्लास्टिक रेशों, टुकड़ों और छर्रों के आकार में मिले हैं। ट्रीटमेंट के बाद का आंकलन है कि सबसे कम माइक्रो प्लास्टिक केरवा बांध के जल उपचार संयंत्र में मिला है। यह 330 कण प्रति घन मीटर व बिड़ला मंदिर के संयंत्र में 450 कण प्रति घनमीटर है।
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