राज्य शासकीय कर्मचारी अधिकार संरक्षण संघ (RSKASS) ने मध्य प्रदेश सरकार पर Computer Proficiency Certification Test (CPCT) अनिवार्यता के नाम पर लिपिकीय कर्मचारियों (Clerical Staff) की सेवाएं समाप्त करने में दोहरे मापदंड (Double Standards) अपनाने का गंभीर आरोप लगाया है। संगठन का कहना है कि सरकार की नीतियों से शासकीय कर्मचारियों (Government Employees) में व्यापक असंतोष और रोष व्याप्त है।
संगठन का बयान: दोहरा रवैया उजागर
राज्य शासकीय कर्मचारी अधिकार संरक्षण संघ के प्रांतीय अध्यक्ष शील प्रताप सिंह पुंढीर, महामंत्री व्यासमुनि चौबे, और सचिव श्री कृष्णकांत मिश्रा ने संयुक्त बयान में कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने एक ओर 8-10 वर्षों से सेवारत अनुभवी लिपिकीय कर्मचारियों (Clerical Employees) को CPCT पास न होने के कारण सेवाओं से बर्खास्त (Terminated) कर दिया। वहीं दूसरी ओर, Establishment, Accounts, Cash Handling, Salary Payments, Departmental Inquiries, Tenders जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को CPCT पास के बिना ही दैनिक वेतन भोगी (Daily Wage Workers) और संविदा कर्मियों (Contractual Employees) से कराया जा रहा है। यह अनुकंपा नियुक्ति नियमों (Compassionate Appointment Rules) की कंडिका 6.5 का स्पष्ट उल्लंघन है।
"The government is adopting double standards by terminating experienced clerical staff for not passing CPCT, while allowing untrained daily wage and contractual workers to perform critical tasks," said Sheel Pratap Singh Pundhir, President of RSKASS.
PHE इंदौर मामला: 17 कर्मचारियों की वापसी, अन्य की अनदेखी
संगठन ने इंदौर के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE Indore) का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां 17 बर्खास्त कर्मचारियों को समयावधि प्रदान कर पुनः सेवा में लिया गया। हालांकि, संगठन की बार-बार आपत्तियों के बावजूद, अन्य विभागों से बर्खास्त कर्मचारियों (Terminated Employees) को अभी तक सेवा में वापस नहीं लिया गया है। इससे सरकार की नीतियों में असमानता (Disparity in Policies) और पक्षपात का आरोप और गहरा हो रहा है।
कर्मचारियों में रोष और असंतोष
संगठन ने चेतावनी दी है कि सरकार का यह दोहरा रवैया न केवल कर्मचारियों के अधिकारों (Employee Rights) का हनन है, बल्कि यह Government Service Rules और Administrative Fairness के सिद्धांतों के खिलाफ भी है। बर्खास्त कर्मचारियों और संगठन में इस नीति के कारण व्यापक असंतोष (Widespread Dissatisfaction) व्याप्त है। संगठन ने मांग की है कि बर्खास्त कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से सेवा में वापस लिया जाए और CPCT Mandatory Policy को सभी कर्मचारियों पर समान रूप से लागू किया जाए।
सरकार से मांग: निष्पक्ष नीति लागू करें
राज्य शासकीय कर्मचारी अधिकार संरक्षण संघ ने मध्य प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह Transparent and Fair Policies अपनाए और बर्खास्त कर्मचारियों को न्याय प्रदान करे। संगठन ने यह भी कहा कि यदि सरकार ने इस मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई नहीं की, तो कर्मचारी संगठन बड़े पैमाने पर आंदोलन (Mass Agitation) शुरू करने के लिए बाध्य होगा।
"We demand immediate reinstatement of terminated employees and an end to the double standards in CPCT implementation," added Pundhir.