Hamare Shikshak APP के खिलाफ ट्राइबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन की मोर्चाबंदी

एक जुलाई से प्रदेश के सभी विद्यालयों में (getButton) #text=(Hamare Shikshak APP) #icon=(demo) के माध्यम से शिक्षकों की ई-अटेंडेंस (E-Attendance) व्यवस्था लागू करने के निर्देश के बाद शिक्षकों में असंतोष व्याप्त है। कर्मचारी नेता श्री धीरेंद्र सिंगोर ने प्रेस बयान जारी करके इस सिस्टम के प्रति विरोध प्रकट किया है। 

उच्च अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल

उन्होंने बताया कि, E-Attendance सिस्टम में निर्देश के अनुसार यदि शिक्षक स्कूल खुलने और बंद होने के समय अपने मोबाइल से उपस्थिति दर्ज नहीं कर पाते, तो बिना कोई स्पष्टीकरण लिए उनके वेतन कटौती की व्यवस्था लागू की गई है। यह व्यवस्था मानवीय मूल्यों को दरकिनार कर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों (Electronic Devices) पर निर्भर हो गई है। यह उच्च अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठाता है, जो मोटी तनख्वाह लेते हैं। 

Tribal Areas में E-Attendance पूरी तरह अव्यवहारिक

श्री धीरेंद्र सिंगोर का कहना है कि शहरी विद्यालयों को छोड़कर, ग्रामीण और विशेष रूप से जनजातीय क्षेत्रों (Tribal Areas) के विद्यालयों में 40% से अधिक शिक्षक अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में सेवाएँ दे रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षक आवास (Teacher Housing) की कमी के कारण शिक्षकों को पहाड़ी और दुर्गम रास्तों से होकर स्कूल पहुँचना पड़ता है। इसके अलावा, उन्हें बच्चों के आधार कार्ड (Aadhaar Card), समग्र आईडी (Samagra ID), अपार आईडी (APAAR ID), जाति प्रमाण पत्र (Caste Certificate), बैंक खाता (Bank Account) खुलवाने, प्रोफाइल पंजीयन (Profile Registration), और मैपिंग (Mapping) जैसे कार्यों के लिए विद्यालय से बाहर दौड़-धूप करनी पड़ती है। बरसात के दिनों में नदी-नालों में बाढ़ का सामना कर स्कूल पहुँचना पड़ता है। कई दुर्गम क्षेत्रों में आज भी मोबाइल नेटवर्क (Mobile Network) उपलब्ध नहीं होता। इन सभी समस्याओं के कारण शिक्षकों के लिए स्कूल खुलने और बंद होने के समय मोबाइल से हाजिरी (Attendance) दर्ज करना पूरी तरह अव्यवहारिक है। 

शिक्षक न केवल पढ़ाने का मूल कार्य करते हैं, बल्कि विद्यार्थियों और अभिभावकों के निजी कार्यों को भी पूरा करते हैं। ऐसे में उनके कार्यों का मूल्यांकन केवल मशीनों (Electronic Systems) के आधार पर करना अनुचित और अन्यायपूर्ण है। 

ई-अटेंडेंस का मामला न्यायालय में लंबित 

श्री धीरेंद्र सिंगोर ने बताया कि 2 अप्रैल 2018 को भी "एम शिक्षा मित्र" के माध्यम से ई-अटेंडेंस (E-Attendance System) लागू करने के निर्देश दिए गए थे। तब उन्होंने 52 शिक्षकों और अध्यापकों के साथ इस व्यवस्था को न्यायालय में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश स्कूलों में मोबाइल नेटवर्क (Mobile Network) नहीं मिलता, जिससे अटेंडेंस दर्ज नहीं हो पाता और वेतन कटौती (Salary Deduction) का खतरा रहता है। लगभग 30 याचिकाकर्ताओं ने शपथपत्र देकर बताया था कि उनके स्कूल के गाँव में नेटवर्क कभी उपलब्ध नहीं होता। 

याचिका में यह भी कहा गया कि निजी मोबाइल (Personal Mobile) से अटेंडेंस दर्ज करना उचित नहीं है, क्योंकि कर्मचारी इसे घर पर भूल सकते हैं, मोबाइल खराब हो सकता है या गुम हो सकता है। ऐसे में स्कूल में उपस्थित होने के बावजूद वेतन कटौती हो सकती है। कोर्ट में यह दलील भी दी गई कि कई कर्मचारी मोबाइल का उपयोग नहीं करते, और उन्हें इसके लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। साथ ही, सरकार द्वारा शिक्षकों को मोबाइल भत्ता (Mobile Allowance) भी नहीं दिया जाता। इस मामले की पहली सुनवाई 2 अप्रैल 2018 को हुई थी, लेकिन सरकारी अधिवक्ता ने समय माँगा, क्योंकि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने शिक्षकों के विरोध के बाद इस व्यवस्था पर रोक लगाने की बात कही थी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई 2025 को संभावित है। 

पूर्व मुख्यमंत्री ने ई-अटेंडेंस को अपमानजनक बताया

2 अप्रैल 2018 को "एम शिक्षा मित्र" के माध्यम से ई-अटेंडेंस लागू करने के विरोध में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 1 अप्रैल 2018 को शिक्षक संगठनों के एक कार्यक्रम में कहा था कि यह व्यवस्था अपमानजनक (Humiliating Condition) है और इसे लागू नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने शिक्षकों के सम्मान के साथ खिलवाड़ करने की अनुमति किसी को नहीं देने की बात कही थी। उनके इस ऐलान के बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संवेदनशील मुख्यमंत्री की बात को आज नजरअंदाज किया जा रहा है। 

Impractical Attendance System

ट्राइबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन (Tribal Welfare Teachers Association) ने वर्तमान "एजुकेशन पोर्टल 3.0" (Education Portal 3.0) से ई-अटेंडेंस को अव्यवहारिक बताया है। उनका कहना है कि अधिकांश मामलों में शिक्षक की सही लोकेशन (Location Tracking) नहीं मिलती। शिक्षक स्कूल में होता है, लेकिन लोकेशन कहीं और दिखाई देती है। आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय के निर्देश में कहा गया कि जो विद्यालय दोनों समय ई-अटेंडेंस दर्ज करेंगे, उनका बिना उच्चाधिकारियों की अनुमति के निरीक्षण नहीं होगा। यह हास्यास्पद है, क्योंकि इससे लगता है कि मंशा केवल ई-अटेंडेंस को सफल बनाना है, न कि शिक्षा की गुणवत्ता (Education Quality) पर ध्यान देना। 

केवल इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम (Electronic System) पर भरोसा कर वेतन व्यवस्था बनाना कई विवादों को जन्म देगा, जिससे शिक्षक लगातार तनावग्रस्त (Stressful Environment) रहेंगे। एसोसिएशन का सुझाव है कि ऐसी अव्यवहारिक योजनाओं के बजाय मॉनिटरिंग सिस्टम (Monitoring System) को सशक्त करना चाहिए। गैर-शैक्षणिक कार्यों (Non-Teaching Tasks) पर पूर्ण रोक लगानी चाहिए, ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षक आवास (Teacher Housing) बनाए जाने चाहिए, और गोपनीय चरित्रावली (Confidential Report) की वर्तमान व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है। शिक्षकों के मोबाइल से ई-अटेंडेंस के बजाय स्कूलों में बायोमेट्रिक मशीन (Biometric Machine) लगानी चाहिए। 

अटेंडेंस की जो भी व्यवस्था लागू हो, उसे सभी कर्मचारियों पर समान रूप से लागू करना चाहिए। केवल शिक्षकों के लिए ऐसी अपमानजनक योजनाएँ बनाना उचित नहीं है, और शिक्षक समुदाय इसका हमेशा विरोध करेगा।

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