मध्य प्रदेश के शहडोल में डॉ. कृष्णेन्द्रधर द्विवेदी की पुलिस वालों द्वारा मारपीट के मामले में विवाद का कारण स्पष्ट हो गया है। यह सारा झगड़ा डॉ. कृष्णेन्द्रधर द्विवेदी की कार पर हरियाणा की नंबर प्लेट के कारण शुरू हुआ। डॉक्टर अस्पताल में भर्ती है और मारपीट करने वाले चार पुलिस कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया है।
घटना का विवरण
मारपीट के बाद शहडोल मेडिकल कॉलेज के प्राइवेट वार्ड के रूम नंबर 7 में भर्ती डॉ. कृष्णेन्द्रधर द्विवेदी अपने बयान में विवाद का कोई कारण नहीं बताया था। उनका कहना था कि अचानक पुलिस वाले आए और मारपीट करने लगे। शहडोल के एडिशनल एसपी अभिषेक दीवान ने इस मामले से जुड़े सभी प्रश्नों के उत्तर दिए। उन्होंने बताया कि, माहौल तनावपूर्ण चल रहा है। 16 मई को रात के करीब एक बजे, होमगार्ड ग्राउंड फिटिंग सामने सड़क से लगभग 100 मीटर अंदर एक कार खड़ी हुई थी। उस पर हरियाणा का नंबर था। इसके अलावा कार पर कुछ भी नहीं लिखा हुआ था। जिससे उसके लोकल होने की पहचान हो पाती। राउंड पर निकली पुलिस की टीम वहां से गुजरी। रात 1:00 बजे कार के अंदर एक व्यक्ति फोन पर बात कर रहा था। टीम ने उसे घर जाने के लिए कहा और आगे बढ़ गई।
राउंड से वापस लौटते समय टीम ने देखा कि वह व्यक्ति अभी भी कार के अंदर बैठा हुआ है और फोन पर बात कर रहा है। गाड़ी पर हरियाणा का नंबर है। यह सामान्य स्थिति नहीं है। दो पुलिस कर्मचारियों ने उसे व्यक्ति को कार से बाहर निकाला और पूछताछ करने लगे। एविडेंस के लिए वीडियो बनाने लगे। उस व्यक्ति ने, जिस मोबाइल से वीडियो रिकॉर्ड किया जा रहा था, उस मोबाइल को गिरा दिया। रात के अंधेरे में संदिग्ध व्यक्ति द्वारा पुलिस टीम को इस प्रकार से रोकना, हमला माना जाता है। दोनों में से एक पुलिस कर्मचारियों ने बैकअप फोर्स के लिए कॉल किया और दूसरे कर्मचारियों ने संदिग्ध व्यक्ति को काबू में करने की कोशिश की। संदिग्ध व्यक्ति उन्हें छूटने की कोशिश की तो बल प्रयोग किया गया। तब तक बैकअप फोर्स भी आ गई। संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लेकर पुलिस थाने में पूछताछ की गई। यहां कंफर्म हुआ कि, संदिग्ध व्यक्ति शहडोल जिला अस्पताल में सरकारी डॉक्टर है।
MORAL OF THE NEWS
- यदि गाड़ी पर हरियाणा का नंबर नहीं होता तो पुलिस टीम को संदेह ही नहीं होता।
- यदि गाड़ी पर शहडोल सरकारी अस्पताल का स्टीकर होता, तो भी पुलिस टीम शक नहीं करती।
- यदि डॉक्टर कृष्णेन्द्रधर द्विवेदी पुलिस कर्मचारियों के साथ अभद्रता नहीं करते तो पुलिस टीम भी बल प्रयोग नहीं करती।
इस घटना में पब्लिक को सीखने और समझने के लिए केवल इतना ही है कि, आपके पास यदि भारत के किसी दूसरे राज्य के रजिस्ट्रेशन नंबर वाला मोटर वाहन है तो उसे परिवार नियमों के अनुसार अपने निवास वाले राज्य के लिए ट्रांसफर करवा लीजिए। दूसरे राज्यों के वाहनों को पुलिस हमेशा शक की नजर से देखती है। मोटर वाहन पर हरियाणा का नंबर और रात के अंधेरे में एक व्यक्ति द्वारा काफी देर तक मोबाइल पर बात करना, घटना का कारण बना। जो व्यक्ति सरकारी डॉक्टर है, पुलिस कर्मचारियों को उसमें कोई जासूस दिखाई दे रहा था।
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