MP आरक्षण कांड - कटनी में दोस्त की जाति चुराकर MBBS डॉक्टर बन गया, मरीजों की जान से खेलने लगा

मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाला वाले डॉक्टरों से दुनिया डरती है। अब इसी तरह का एक दूसरा मामला सामने आ गया है। यहां एक युवक ने, अपने दोस्त की जाति चुराई और डॉक्टर बन गया। अब ब्रजराज सिंह जबलपुर में सरकारी रिकॉर्ड में डॉक्टर है, और वही बृजराज सिंह कटनी में सरकारी रिकॉर्ड में पेंटर है एवं शासकीय योजनाओं का लाभ ले रहा है। 

सवर्ण सत्येंद्र कुमार को आरक्षण का लाभ कैसे मिला?

बात बड़ी सिंपल है और मध्य प्रदेश के रिश्वतखोर माहौल में बहुत आसान भी है। कटनी में एक लड़का रहता था, नाम है सत्येंद्र कुमार। वह डॉक्टर बनना चाहता था और मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रहा था। एक तरफ 50% आरक्षण, दूसरी तरफ बचे हुए 50% में आरक्षित जाति के योग्य उम्मीदवारों की एंट्री के कारण प्रतिस्पर्धा बड़ी कठिन हो गई है। सत्येंद्र कुमार ने इस प्रॉब्लम का एक हल निकाला। उसका दोस्त था ब्रजराज सिंह उईके, वह आगे कोई पढ़ाई नहीं करना चाहता था। सत्येंद्र कुमार ने, बृजराज सिंह के डॉक्यूमेंट लिए, उन पर अपना फोटो चिपकाया, और मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में शामिल हो गया। 

आरक्षण का फायदा मिला और सत्येंद्र कुमार उर्फ बृजराज सिंह को मेडिकल सीट मिल गई। आरक्षण के कारण MBBS की पढ़ाई भी आसानी से पूरी हो गई। लौटकर जबलपुर आया और मार्बल सिटी अस्पताल में नौकरी करने लगा। अब सतेंद्र कुमार गायब हो चुका है और जबलपुर के मार्बल सिटी अस्पताल में ब्रजराज सिंह डॉक्टर है। जबकि असली बृजराज सिंह कटनी में पेंटर है। जबलपुर पुलिस को पेंटर तो मिल गया लेकिन सत्येंद्र कुमार उर्फ डॉक्टर बृजराज सिंह फरार चल रहा है। पुलिस उसकी तलाश कर रही है। 

खुलासा कैसे हुआ? 

इस मामले का खुलासा किसी भी सरकारी डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन प्रक्रिया के दौरान नहीं हुआ है बल्कि एक विवाद के चलते हुआ। रेल ऑफीसर्स कॉलोनी निवासी मनोज कुमार महावर ने अपनी बीमार मां शांति देवी को इलाज के लिए मार्बल सिटी अस्पताल में भर्ती करवाया था। वह बहुत भी गंभीर बीमार नहीं थी लेकिन अचानक उनकी मृत्यु हो गई। सवाल करने पर अस्पताल की तरफ से संतोषजनक जवाब नहीं मिला। मनोज कुमार ने छानबीन शुरू की तो अस्पताल के डॉक्यूमेंट में लिखा था कि, डॉक्टर बृजराज सिंह ने शांति देवी को वेंटिलेटर पर ले जाने के लिए कहा था परंतु मनोज कुमार ने मना कर दिया। जबकि एक्चुअल में डॉक्टर बृजराज सिंह ने मनोज कुमार से ऐसी कोई बात नहीं की थी। अब मनोज कुमार ने ब्रजराज सिंह की छानबीन शुरू की। अस्पताल ने मनोज कुमार और बृजराज सिंह को आमने-सामने नहीं होने दिया। इसलिए मनोज कुमार, डॉक्टर बृजराज सिंह की तलाश में उनके घर पहुंच गए। यहां पता चला कि बृजराज सिंह उईके, डॉक्टर नहीं बल्कि पेंटर है। इसके बाद सारे खेल का खुलासा हो गया। 

इस मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि, डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में रिश्वतखोरी के कारण एक बदमाश व्यक्ति दस्तावेजों में हेरा फेरी करके डॉक्टर बन गया। पता नहीं और ऐसे कितने डॉक्टर मध्य प्रदेश और देश के दूसरे अस्पतालों में मरीजों की जान के साथ खेल रहे होंगे। इस मामले में सत्येंद्र कुमार उर्फ डॉ बृजराज सिंह को पकड़ना तो जरूरी है ही लेकिन डॉक्यूमेंट वेरीफाई करने वाले को जेल में डालना ज्यादा जरूरी है। मध्य प्रदेश में अब कर्मचारियों को पता चलना चाहिए, वह इस तरह की खतरनाक गलती करेंगे तो सिर्फ जांच नहीं होगी बल्कि FIR भी होगी। 

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