KATNI DIC GM ज्योति सिंह, विभागीय जांच में दोषी घोषित, भ्रष्टाचार के लिए पद का दुरुपयोग!


जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र कटनी में महाप्रबंधक के पद पर पदस्थ रही श्रीमती ज्योति सिंह विभागीय जांच में दोषी घोषित की गई है। जांच प्रतिवेदन में स्पष्ट लिखा गया है कि, कि तत्कालीन महाप्रबंधक श्रीमति ज्योति सिंह द्वारा अपने पदीय दायित्वों के पालन में लापरवाही बरती गई है और कोल वितरण प्रक्रिया एवं नीति 2017 के दिशा - निर्देशों का पालन नहीं किया गया। जिस शिकायत पर यह जांच हुई है, उसमें आरोप लगाया गया है कि श्रीमती ज्योति सिंह ने भ्रष्टाचार के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया है। 

श्रीमती ज्योति सिंह के खिलाफ क्या शिकायत की गई थी

श्रीमती ज्योति सिंह महाप्रबंधक जिला उद्योग व्यापार केंद्र कटनी द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर कोल अनुशंसा पर 10000 मेट्रिक टन अधिक क्षमता वाली इकाइयों का नियम विरुद्ध निरीक्षण कर अनुशंसा की गई है, जबकि उनके कार्यालय में पदस्थ प्रबंधक / सहायक प्रबंधक के होते हुए भी स्वयं के द्वारा निरीक्षण कर गलत रिपोर्ट लगाकर भ्रष्टाचार किया गया है। इनके द्वारा लगभग 50 से 70 यूनिट की अनुशंसा रिपोर्ट लगाई गई है प्रति यूनिट इनके द्वारा कोल व्यापारियों से प्रतिशत के अनुसार राशि ली गई है। जिसके चलते उनके द्वारा लाखों की हेरा फेरी की गई है। 

अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी दबाव बनाती है

ज्योति सिंह चौहान द्वारा विभाग द्वारा संचालित मुख्यमंत्री योजनाओं का हितग्राहितों से पैसा लेकर आवेदनों की डबल अनुदान जारी की गई है जबकि यह नियम विरुद्ध है। यह भी उल्लेखनीय है कि उनके द्वारा विभाग की विभिन्न मदों से जिसमें मजदूरी का भुगतान, ऑफिस गाड़ी का दुरुपयोग, स्टेशनरी का भुगतान, ऑफिस का रंग रोगन और भी कई प्रकार के फर्जी बिल लगाकर भुगतान की राशि का दुरुपयोग किया गया है। इसके अतिरिक्त विभाग भोपाल एवं जबलपुर के उच्च अधिकारियों के साथ मिलकर निचले कर्मचारियों और अधिकारियों को दबाव देकर कार्य लेती हैं, गलत रिपोर्ट लगाने एवं निरीक्षण करने का दबाव बनती हैं एवं ट्रांसफर करने और जांच में फंसाने की धमकी देकर कार्य लिए जाने से कई अधिकारियों कर्मचारी मानसिक रूप से प्रताड़ित हैं। 

दिव्यांगता प्रमाण पत्र फर्जी है, ज्योति सिंह हर प्रकार से सक्षम है?

भ्रष्टाचार से रूपयों का लाभ अर्जित करते हुए स्वयं के उपयोग हेतु नए वाहनों का बिना विभागीय अनुमति के किया गया एवं भ्रष्टाचार से संपत्तियां अर्जित की जा रही हैं जो सीधी जिले पर नया भवन भी निर्मित किया गया है। पूर्व प्रभारी महाप्रबंधक की नियुक्ति विभाग पर दिव्यांग कोटे से की गई है, जबकि वह ऑफिस कार्य के साथ फील्ड के कार्य के लिए भी सक्षम है सभी प्रकार के वाहन चलाने हेतु सक्षम है। दिव्यांग प्रमाण पत्र सतना जिले से निर्मित है। शैक्षणिक योग्यता समाप्त होने के पश्चात मात्र शासकीय नियुक्ति पाने के उद्देश्य से बनाया गया। 

तत्कालीन पूर्व महाप्रबंधक श्री अजय श्रीवास्तव सेवा निवृत्त के कार्यकाल से लगातार पिछले 5 वर्षों से नियम विरुद्ध तरीके से कटनी में श्रीमती ज्योति सिंह चौहान के साथ पूर्ण रूप से भ्रष्टाचार पर लिप्त है। 

जांच में क्या पाया गया

परिक्षेत्रिय उद्योग कार्यालय जबलपुर के संयुक्त संचालक द्वारा इस मामले की जांच की गई। जांच में पाया गया कि, 65 नस्तियों में तत्कालीन महाप्रबंधक श्रीमति ज्योति सिंह द्वारा किया गया निरिक्षण प्रतिवेदन संलग्न पाया गया। साथ ही 10 नस्तियों में सहायक प्रबंधक श्री रंजीत गौतम के साथ संयुक्त निरीक्षण करना पाया गया। जो कि नियम विरुद्ध था। समस्त निरीक्षण प्रतिवेदन कोल वितरण प्रकिया एवं नीति 2017 में उल्लेखित निर्धारित प्रारूप अनुसार नहीं पाए गए।

कक्ष सहायक अजय कंवर का बयान

कक्ष सहायक श्री अजय कंवर सहायक ग्रेड 1 के द्वारा जांच अधिकारी को बताया गया कि "मेरे द्वारा कोल आवंटन के संबंध में नस्ती को नियमानुसार प्रस्तुत करता रहा हूं एवं पूर्व प्रभारी अधिकारी को अवलोकन कराता रहा हूं। तब अधिकारी के द्वारा नोट-शीट में बिना अभिमत के, नोटशीट को नजरअंदाज कर अपने स्तर से प्रकरण पर कार्यवाही की जाती रही है। वर्तमान महाप्रबंधक के द्वारा दिनांक 25.11.2025 को बैठक उपरांत 66 प्रकरणों की जांच की गई, जिसमें कोल आवंटन में त्रुटि पाई गई। 

महाप्रबंधक जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र कटनी द्वारा अभिमत प्रस्तुत किया गया कि जिले की 66 चूना उत्पादक इकाईयों एवं 10 रिफैक्ट्रीज इकाईयों द्वारा कोल आवंटन की मोंग हेतु आवेदन प्राप्त हुये है। कोल वितरण प्रक्रिया एवं नीति 2007 में उल्लेखित निर्धारित प्रारूप् अनुसार निरीक्षण प्रतिवेदन नहीं पाये गये साथ ही संबंधित कक्षे सहायक से पूछे जाने पर निरीक्षण प्रतिवेदन के संबंध में कक्ष सहायक कक्ष अनभिज्ञता जाहिर की गई। 

जांच अधिकारी एवं संयुक्त संचालक परिक्षेत्रिय उद्योग कार्यालय जबलपुर द्वारा अपने जांच प्रतिवेदन में लिखा गया है, कि तत्कालीन महाप्रबंधक श्रीमति ज्योति सिंह द्वारा अपने पदीय दायित्वों के पालन में लापरवाही बरती गई है और कोल वितरण प्रक्रिया एवं नीति 2017 के दिशा - निर्देशों का पालन नहीं किया गया है। 

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