IAS अधिकारी को 1 महीने की जेल, हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना का मामला - Hindi News

भारत के कई राज्यों में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों द्वारा हाईकोर्ट के आदेश की निरंतर अवमानना की जाती है। कुछ अधिकारियों के खिलाफ तो दर्जनों अवमानना के मामले चल रहे हैं लेकिन शायद अब स्थिति में कुछ सुधार आएगा क्योंकि मद्रास हाई कोर्ट ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी को आदेश का पालन नहीं करने के कारण एक महीने जेल की सजा सुनाई और ₹25000 मुआवजा देने का आदेश दिया है। 

Chennai Metropolitan Development Authority and Contempt of Court Case

1983 में, Chennai के कोयम्बेडु इलाके में, तमिलनाडु हाउसिंग बोर्ड ने ललिताम्बल और उनके भाई विश्वनाथन की 17 सेंट जमीन को एक अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए अधिग्रहित किया। यह वादा था कि इस land acquisition से क्षेत्र का विकास होगा। लेकिन साल बीत गए, और न तो अपार्टमेंट बना, न ही जमीन का कोई उपयोग हुआ। ललिताम्बल और विश्वनाथन के लिए यह सिर्फ जमीन नहीं, बल्कि उनके परिवार की विरासत थी। निराश और हताश, उन्होंने 2003 में Madras High Court में याचिका दायर की, जिसमें अपनी जमीन वापस मांगने की गुहार लगाई।  

Madras High Court Ruling on Koyambedu Land Dispute

Madras High Court ने ललिताम्बल और विश्वनाथन की याचिका पर सुनवाई की और तमिलनाडु हाउसिंग बोर्ड को उनकी मांग पर विचार करने का आदेश दिया। इस आदेश के बाद, 10.5 सेंट जमीन तो याचिकाकर्ताओं को वापस कर दी गई, लेकिन 6.5 सेंट जमीन बोर्ड ने अपने पास रख ली, यह दावा करते हुए कि इसका उपयोग road expansion के लिए होगा। लेकिन समय बीतने के बाद भी उस जमीन का कोई उपयोग नहीं हुआ। यह देखकर ललिताम्बल और विश्वनाथन ने फिर से Madras High Court का दरवाजा खटखटाया, क्योंकि उनका मानना था कि उनकी जमीन का दुरुपयोग हो रहा है।  

Contempt of Court Case Against IAS Officer Anshul Mishra

2023 में, Madras High Court ने Chennai Metropolitan Development Authority (CMDA) को स्पष्ट आदेश दिया कि वह ललिताम्बल और विश्वनाथन को व्यक्तिगत रूप से बुलाकर, दो महीने के भीतर कानून के अनुसार उचित आदेश जारी करे। लेकिन CMDA के तत्कालीन सचिव और IAS officer अंशुल मिश्रा ने इस आदेश का पालन नहीं किया। इस गैर-जिम्मेदाराना रवैये ने ललिताम्बल और विश्वनाथन को मजबूर किया कि वे contempt of court का मामला दायर करें। यह मामला न केवल उनकी जमीन की लड़ाई थी, बल्कि rule of law की रक्षा का भी सवाल बन गया।  

Justice Velmurugan’s Verdict on Government Accountability

न्यायमूर्ति वेलमुरुगन ने अपने आदेश में स्पष्ट शब्दों में कहा कि सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के कारण आम नागरिकों को बार-बार court का सहारा लेना पड़ता है। उन्होंने CMDA के तत्कालीन सचिव की हरकतों को न केवल गलत, बल्कि rule of law के लिए चुनौती बताया। न्यायाधीश ने जोर देकर कहा कि जनता को भरोसा है कि court orders का पालन होगा। साथ ही, उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि सरकारी अधिकारी न केवल अपने उच्च अधिकारियों, बल्कि Constitution के प्रति भी जवाबदेह हैं। यह कहानी न केवल ललिताम्बल और विश्वनाथन की लड़ाई है, बल्कि हर उस नागरिक की आवाज है जो justice और accountability की उम्मीद करता है। 

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