दिनांक 25 दिसंबर 1968 की रात हुए "किल्वेंमनी नरसंहार" के मामले को The Lallantop के पत्रकार श्री NIKHIL WATH ने दिनांक 1 नवंबर 2023 को उठाया था। निखिल ने न्याय की मांग की थी परंतु इस मामले ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। निखिल ने इस मामले में ब्राह्मण समुदाय को हत्यारा बताया है। इस बात को लेकर ब्राह्मण समाज नाराज और सौरव द्विवेदी के प्रति अपना आक्रोश प्रकट कर रहा है। द-लल्लनटॉप के खिलाफ विरोध है, वीडियो को हटाने और माफी मांगने की बात की जा रही है।
मामला क्या है संक्षिप्त में समझिए
The Lallantop के यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो उपलब्ध है। यह वीडियो दिनांक 1 नवंबर 2023 को अपलोड किया गया था। इस वीडियो का शीर्षक है "Tamil Nadu के किल्वेंमनी हत्याकांड की पूरी कहानी | Kilvenmani dalit Tragedy | Tarikh E585" शीर्षक से स्पष्ट है कि यह "तारीख" नाम के कार्यक्रम का एपिसोड नंबर 585 है। वीडियो में इस एपिसोड के एंकर का नाम "NIKHIL WATH" लिखा हुआ है। निखिल अपने वीडियो में बताते हैं कि दक्षिण भारत में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के नागरिकों पर ब्राह्मण समाज के लोगों के अत्याचार और अधिक बढ़ गए थे। फिर वह बताते हैं कि दिनांक 25 दिसंबर 1968 को तमिलनाडु के किल्वेनमनी गांव में अनुसूचित जाति के 44 नागरिकों को जिंदा जला दिया गया था। YOUTUBE पर वीडियो के थंबनेल के जरिए "कब मिलेगा न्याय" सवाल उठाया गया है।
किल्वेंमनी हत्याकांड क्या है
यह मूल रूप से जमींदार और मजदूरों के बीच हुआ संघर्ष है। मजदूरों को बेहद कम मजदूरी दी जा रही थी और उन्होंने अधिक मजदूरी के लिए हड़ताल का ऐलान कर दिया। जमींदार ने अपने खिलाफ उठे विरोध को दबाने के लिए 44 लोगों को एक झोपड़ी में बंद किया और आग लगा दी। इस मामले में तमिलनाडु पुलिस ने गोपालकृष्ण नायडू और उनके 22 साथियों को अपराधी घोषित करते हुए कोर्ट में पेश किया था। 11 नवंबर 1970 को उम्र कैद की सजा सुनाई गई लेकिन सजा के खिलाफ अपील के बाद 1975 में गोपाल कृष्ण नायडू को मुक्त कर दिया गया। इसके बाद दिनांक 25 दिसंबर 1980 को पीड़ित पक्ष के श्री अमलराज द्वारा गोपाल कृष्ण नायडू की हत्या कर दी गई। तारीख वही थी 25 दिसंबर और हत्या के दौरान नायडू के शरीर में 44 बार चाकू घोंपा गया क्योंकि हत्याकांड में 44 व्यक्तियों की मृत्यु हुई थी।
ब्राह्मण समाज को क्या आपत्ति है
दिनांक 14 फरवरी 2025 को पत्रकार श्री शुभम शुक्ला ने इस एपीसोड में से 43 सेकंड की वीडियो क्लिप अपने X पर पोस्ट करते हुए, जवाबी हमला किया। श्री शुभम शुक्ला ने बताया कि इस मामले में निखिल और लल्लन टॉप द्वारा ब्राह्मणों को निर्दोष होने के बावजूद टारगेट किया गया है। इस मामले का आरोपी एक जमींदार था जो पिछड़े वर्ग से आता था। ब्राह्मणों का इस घटना से कोई संबंध नहीं था लेकिन फिर भी वीडियो में बार-बार ब्राह्मणों को दोषी बताया जा रहा है।
SAURABH DWIVEDI से क्या नाराजगी है
लल्लनटॉप की वेबसाइट पर इस कंटेंट के ऑथर अभय शर्मा Chief Sub-Editor हैं परंतु ब्राह्मण समाज सौरव द्विवेदी के खिलाफ नाराजगी प्रकट कर रहा है, क्योंकि सौरभ द्विवेदी, लल्लनटॉप का चेहरा हैं, ब्राह्मण और स्वयं को निष्पक्ष पत्रकार बताते हैं। लोगों का कहना है कि सौरभ द्विवेदी को इस कार्यक्रम को पब्लिक करने से पहले या कंफर्म करना चाहिए था कि अपराधी कौन और किस जाति से है। जो अपराध ब्राह्मण समाज के किसी व्यक्ति ने किया ही नहीं है, उसके लिए पूरे ब्राह्मण समाज को अपराधी बताया जा रहा है। लोग सौरभ द्विवेदी से इसलिए भी नाराज है क्योंकि, उनके अपने लल्लनटॉप पर निखिल नाम का एक पत्रकार, अपने समाज के समर्थन में न केवल झूठ बल्कि भड़काऊ कार्यक्रम बना रहा है और सौरव द्विवेदी सत्य की रक्षा भी नहीं कर रहे हैं।
किल्वेंमनी हत्याकांड का हमेशा पॉलिटिकल और दुरुपयोग किया गया
किल्वेंमनी हत्याकांड एक दुखद घटना थी परंतु इससे अधिक दुखद बात यह है कि, इस घटना का हमेशा पॉलिटिकल और दुरुपयोग किया गया।
- यह घटना जातिवाद नहीं बल्कि मजदूरों का आंदोलन दबाने के लिए घटित हुई थी।
- नायडू की हत्या करने वाला व्यक्ति घटना का प्रत्यक्षदर्शी था। उसके अपनों की मृत्यु हुई थी। उसने बदला लिया परंतु कभी कोई कम्युनिस्ट पार्टी ने उसे अपना सदस्य बना लिया था। इसलिए कम्युनिस्ट पार्टी ने इस घटना का पोलिटिकल फायदा उठाने की कोशिश की और कहा कि पार्टी ने दलित समुदाय पर हुए अत्याचार का बदला लिया है।
- जैसे तैसे करके मामला शांत हुआ था कि 2023 में लल्लन टॉप के विद्वान पत्रकार से निखिल ने मामला उठा दिया। उन्होंने इस मामले में न्याय की मांग की है। समझ में नहीं आता कि कौन सा वाला नया चाहिए। नायडू की हत्या हो चुकी है। अब क्या मरणोपरांत उम्र की सजा सुनाई जाएगी।
- मामला जमींदार और मजदूरों के बीच का था लेकिन निखिल भैया ने इसे दलितों पर ब्राह्मणों का अत्याचार बता दिया। एक नया ही एंगल दे दिया।
- वीडियो लल्लनटॉप पर अपलोड हुआ है, उसकी वेबसाइट पर समाचार भी है। एंकर NIKHIL WATH है। वेबसाइट पर ऑथर अभय शर्मा है लेकिन X पर सौरभ द्विवेदी को टारगेट किया गया है।
अब देखना यह है कि क्या लल्लनटॉप माफी मांगेगा। क्या सौरभ द्विवेदी अपने ब्राह्मण समाज के समर्थन में सीना तान के खड़े हो पाएंगे। क्या अभय शर्मा लल्लनटॉप की वेबसाइट से समाचार और वीडियो को हटाकर माफ़ी मांगेंगे। क्या NIKHIL WATH (जो अब लल्लनटॉप में नहीं है) सार्वजनिक रूप से यह कहने की हिम्मत कर पाएंगे कि उनके पास में गलत जानकारी थी। उनसे गलती हो गई थी और वह शर्मिंदा है।
इस समाचार में हमने किसी भी वीडियो एवं वेबसाइट का लिंक इसलिए नहीं दिया है क्योंकि हम, उन शब्दों को अपने पाठकों तक नहीं पहुंचाना चाहते, जिसके कारण विवाद बन गया है। हमें उम्मीद है कि विवादित वीडियो एवं पोस्ट को दिया जाएगा। घटना का पटाक्षेप 1980 में हो गया था। हम उम्मीद करते हैं कि इस घटना को हमेशा जमींदारों के अत्याचार और मजदूरों के संघर्ष के रूप में याद रखा जाएगा।
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