Beryllium 10 - भगवान राम से 6 लाख साल पुराना दिव्य पत्थर मिला, अब कार्बन डेटिंग भी हो पाएगी

Bhopal Samachar
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हम पृथ्वी पर रहने वाले सभी इंसान अब तक केवल 50000 साल पुरानी कार्बन डेटिंग कर सकते थे। इससे प्राचीन चीजों के लिए हम कुछ लॉजिक इस्तेमाल किया करते थे। पुख्ता सबूत नहीं थे, लेकिन अब हम 14 लाख साल पुरानी चीजों की कार्बन डेटिंग कर सकते हैं। श्री राम सेतु और उससे पहले की घटनाओं का वैज्ञानिक प्रमाणीकरण किया जा सकता है, क्योंकि प्रशांत महासागर की गहराइयों में एक ऐसा दिव्य पत्थर मिला है जो 14 लाख साल पुराना है। 

Beryllium 10 पत्थर अपने किस काम आएगा

Geological History क्या अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों की एक टीम ने प्रशांत महासागर की गहराइयों से कुछ चीजों को एकत्रित किया। इनमें से एक बेरेलियम-10 (Beryllium-10) भी है। वैज्ञानिक Beryllium-10 को पहले से पहचानते हैं। अंतरिक्ष में करोड़ों किलोमीटर दूर तारों में विस्फोट या फिर कोई बड़ी घटना होती है तो उसमें से कॉस्मिक किरणें निकलकर पृथ्वी तक पहुंचती है। पृथ्वी के वायुमंडल के संपर्क में आने के बाद इन चमत्कारी कॉस्मिक किरणों के कारण Beryllium-10 पत्थर बनता है। यह पत्थर 14 लाख साल में अपनी दिव्यता खो देता है। इस पत्थर के माध्यम से अब दुनिया भर में समुद्र की गहराइयों में या फिर पृथ्वी के किसी भी हिस्से पर, यदि कोई चीज मिलेगी तो कार्बन डेटिंग के माध्यम से यह बड़ी आसानी से पता लगा लिया जाएगा कि यह चीज कितने साल पुरानी है। अब तक हम पृथ्वी के इंसानों के पास जो तकनीक थी, उसके माध्यम से सिर्फ 50000 सालों तक की जानकारी मिल पाती थी। 

यह रिसर्च रिपोर्ट Nature Communications journal में प्रकाशित हुई है। HZDR के physicist, Dr Dominik Koll रिसर्च टीम का नेतृत्व कर रहे थे। Accelerator Mass Spectrometry (AMS) के माध्यम से इस पत्थर की विशेषता के बारे में पता लगाया। अब यह टीम काफी उत्साहित है और आगे काम करना चाहती है। पृथ्वी के उन रहस्यों को सुलझाना चाहती है, जिनके जवाब अब तक किसी के पास नहीं है।

क्या भारतीय शास्त्रों में दर्ज घटनाओं की पुष्टि हो पाएगी 

भारतीय धर्म ग्रंथो के अनुसार भगवान श्री राम का जन्म त्रेता युग के अंत में, अर्थात अब से करीब 880100 साल पहले हुआ था, लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाणीकरण नहीं है। महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में लिखा है कि उस समय विंध्याचल और हिमालय पर्वत की ऊंचाई समान थी। विंध्याचल करोड़ों वर्ष पुराना पर्वत है। विंध्याचल की ऊंचाई में कोई परिवर्तन नहीं होता। विंध्याचल पर्वत की ऊंचाई आज भी 5000 फिट है। हिमालय की ऊंचाई 29029 फीट है। यानी दोनों पर्वत की ऊंचाई का अंतर 24029 फिट हो गया है। प्रमाणित होता है कि हिमालय पर्वत 100 वर्ष में 3 फीट ऊंचा हो जाता है। यानी कि विंध्याचल की तुलना में 24029 फीट बढ़ाने के लिए 801000 वर्ष लगे होंगे। इस लॉजिक से भी प्रमाणित होता है कि भगवान राम का जन्म 8 लाख साल पहले हुआ होगा। 

अब तक हम इसी प्रकार के लॉजिक, के आधार पर प्राचीन घटनाओं की पुष्टि किया करते थे, लेकिन अब Beryllium 10 मिल जाने के बाद हम यह भी पता लगा पाएंगे कि विंध्याचल पर्वत कितना पुराना है। भगवान राम का जन्म और उनके जन्म से 6 लाख साल पहले तक पृथ्वी पर क्या हुआ था। कई रहस्य का पता चल जाएगा। कई कथाओं की पुष्टि हो जाएगी और कई मनगढ़ंत कहानियों का खंडन हो जाएगा। 
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