MP NEWS - शीतलहर से बचने स्वास्थ्य विभाग की एडवाइजरी - advisory to avoid cold wave

शीत लहर का प्रभाव प्रत्येक वर्ष दिसंबर-जनवरी के महीनों में होता है और कभी-कभी विस्तारित शीत लहर की घटनाएं नवंबर से फरवरी तक होती है। शीत लहर, बारिश, कोहरा आदि देश के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करने वाले प्रमुख मौसम संबंधी खतरों के रूप में उभरे है। 

Risk of cold stroke in winter

विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार वैश्विक तापमान में विभिन्न मौसमों के दौरान काफी भिन्नताएं सामने आ रही है और उसका भी पर्यावरण, स्वास्थ्य, कृषि, पशुधन, आजीविका, सामाजिक-अर्थव्यवस्था और अन्य संबद्ध क्षेत्रों पर विपरित प्रभाव होता है। वर्तमान में शीत ऋतु में शीत-घात (शीत लहर) की वजह से अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्यायें उत्पन्न हो सकती है। इन समस्याओं को समय से पूर्व बचाव कर लिया जायें तो इस प्राकृतिक विपदा का सामना किया जा सकता है। 

what is cold wave 

सर्दी के मौसम में जब ठंडी हवाएं तेजी से चलने लगती है, तापमान में तेजी से गिरावट होने लगती है, तब इस स्थिति को शीत लहर कहते है, आसान शब्दों में कहा जा सकता है कि सर्दी के मौसम में न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से लेकर 04-05 डिग्री नीचे चला जाता है तो इसे शीतलहर कहा जाता है। 

शीतलहर से बचने का तरीका

स्थानीय मौसम पूर्वानुमान के लिए, भोपाल समाचार डॉट कॉम, रेडियो, टी.वी. एवं समाचार पत्र जैसे सभी मीडिया द्वारा जारी जानकारी का अनुसरण करें, पर्याप्त मात्रा में गर्म कपड़े पहनें, नियमित रूप से गर्म पेय पीते रहे, शीत लहर के समय विभिन्न प्रकार की बीमारियों की संभावना अधिक बढ़ जाती है, जैसे फ्लू, सर्दी, खांसी एवं जुकाम आदि के लक्षण हो जाने पर चिकित्सक से संपर्क करें। कम तापमान के लक्षण जैसे सामान्य से कम शरीर का तापमान, न रूकने वाली कपकपी, याददास्त चले जाना, बेहोशी या मूर्छा की अवस्था का होना, जबान का लड़खडाना आदि होने पर चिकित्सक से संपर्क कर उपचार प्राप्त करें।

What to do to avoid cold wave

पर्याप्त मात्रा में गर्म कपड़े जैसे दस्ताने, टोपी, मफलर एवं जूते आदि पहनें, शीतलहर के समय चुस्त कपड़े ना पहनें, यह रक्त संचार को कम करते हैं, इसलिये हल्के ढीले एवं सूती कपड़े बाहर की तरफ एवं ऊनी कपड़े अंदर की तरफ पहनें, शीत लहर के समय जितना संभव हो सके घर के अंदर ही रहें और कोशिश करें कि अतिआवश्यक हो, तो ही बाहर यात्रा करें। पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों से युक्त भोजन ग्रहण करें एवं शरीर की प्रतिरक्षा बनाए रखने के लिए विटामिन-सी से भरपूर फल और सब्जियां खाएं एवं नियमित रूप से गर्म पदार्थ अवश्य पीयें, आवश्यकतानुसार रूम हीटर का उपयोग करें एवं रूम हीटर के प्रयोग के दौरान पर्याप्त हवा निकासी का प्रबंध अत्यधिक ठंड पड़ने से प्रभावित शरीर के हिस्से पर मालिश ना करें, इससे अधिक नुकसान पड़ सकता है। शीत लहर में अधिक ठंड के लम्बे समय तक सम्पर्क में रहने से त्वचा कठोर एवं सुन्न कर सकती है। शरीर के अंगो जैसे- हाथ-पैर की उंगलियों, नाक एवं कान में लाल फफोले हो सकते हैं। शरीर के भाग के मृत हो जाने पर त्वचा का लाल रंग बदलकर काला हो सकता है। यह बहुत खतरनाक है, यह गैंग्रीन रोग हो सकता है। इसके लिए तत्काल चिकित्सक से परामर्श लें।

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