badal ka weight kitna hota hai?
बादल का जिक्र आते ही हमें आसमान में, हवा के साथ उड़ते हुए कुछ ऐसे जाकर दिखाई देते हैं, जिनका वजन शायद, कपास से भी कम होता है। तभी तो हवा में उड़ते हैं, परंतु दूसरे क्षण ध्यान में आता है कि, इन बादलों में इतना पानी भरा होता है कि, कई बार तो पूरे शहर में बाढ़ आ जाती है। सवाल यह है कि बादलों में कितना वजन होता है, और यदि बादल वजनदार होते हैं तो फिर वह हवा में क्यों उड़ते हैं। जमीन पर क्यों नहीं गिर जाते। गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित क्यों नहीं होते।badal ka weight kitna hota hai रिसर्च रिपोर्ट सरल हिंदी में पढ़िए
नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च (NCAR) के वरिष्ठ वैज्ञानिक पैगी लेमोन (Peggy LeMone) ने सबसे पहले इस सवाल का जवाब तलाश किया। सन 2000 से 2010 के बीच में पैगी लेमोन ने क्यूम्यलस (Cumulus) बादलों पर अध्ययन किया और यह पाया कि औसतन एक बड़े क्यूम्यलस बादल का वजन 500,000 किलोग्राम (500 टन / 1.1 million pounds) तक हो सकता है। बाद में NASA की रिसर्च में Peggy LeMone के दावे की पुष्टि हुई। इसके साथ यह भी पता चला कि, बड़े तूफानी बादल (Thunderstorm Clouds) का वजन लाखों टन तक हो सकता है। NASA ने अपने Analyzing satellite data और Meteorological instruments की मदद से अध्ययन किया था। इसके बाद यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने बादल की संरचना और पानी की मात्रा को मापने के लिए रिमोट सेंसिंग तकनीकों का उपयोग किया।
बादल के वजन के लिए रिसर्च का निष्कर्ष
क्यूम्यलस बादल का औसत वजन 500 टन (या 500,000 किलोग्राम) होता है। यह पृथ्वी पर 100 हाथियों के बराबर है। यानी आसमान में बादलों का वजन 500 टन से कम और 500 टन से अधिक होता है। नासा के अनुसार तूफानी बादल का वजन लाखों टन हो सकता है।
बादल के वजन की गणना का तरीका
नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च (NCAR) के वरिष्ठ वैज्ञानिक पैगी लेमोन (Peggy LeMone) के अनुसार:-
बादल के आयतन (volume) और उसमें मौजूद जलवाष्प के घनत्व (density) के आधार पर वजन निकाला गया।
औसत जलवाष्प घनत्व: 0.5 ग्राम प्रति घन मीटर।
औसतन एक क्यूम्यलस बादल का आयतन: 1 क्यूबिक किलोमीटर।
परिणाम:
- \( \text{वजन} = \text{आयतन} \times \text{घनत्व} \)
- \( 1,000,000,000 \, \text{घन मीटर} \times 0.5 \, \text{ग्राम/घन मीटर} \)
- कुल वजन: 500,000 किलोग्राम।
500 TON का भारी बादल गिरता क्यों नहीं, गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित क्यों नहीं होता
इसके पीछे का रहस्य यह है कि बादल बर्फ की चट्टान नहीं होता बल्कि पानी के बहुत छोटे-छोटे कणों का बहुत बड़ा झुंड होता है। बादल को बर्फ की तरह तोड़ा नहीं जा सकता। हवा में हजारों करोड़ या फिर शायद इससे भी ज्यादा पानी के बहुत छोटे-छोटे कण एक साथ तैर रहे होते है। जब हम धरती से देखते हैं तो वह झुंड हमें बादल दिखाई देता है परंतु असल में पानी का हर छोटा सा कण अपने आप में स्वतंत्र होता है। हवा के संपर्क में आने पर छोटे-छोटे कण एक दूसरे से जुड़ जाते हैं और गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में आकर जमीन पर गिरते हैं। यही कारण है कि बादल नहीं गिरता, पानी की बूंदे गिरती है, जिसे बरसात कहते हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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