एमपी टेट पेपर वर्ग 3 और सीटेट पेपर 1 के सिलेबस के क्रम में आगे बढ़ते हुए अगला टॉपिक है वंशानुक्रम एवं वातावरण का प्रभाव(Influence of Heredity & Environment) इससे पहले के टॉपिक को पढ़ने के लिए कृपया Google करें Bhopal Samachar.com MPTET VARG 3,CTET PAPER 1 CDP NOTES 1 TO 15 IN HINDI जहां से आपको टॉपिक वाइज, नंबर वाइज NOTES 1 से लेकर 15 तक के नोट्स प्राप्त हो जाएंगे।
MP TET VARG-3/CTET PAPER 1 Topic- बाल विकास पर वंशानुगति और वातावरण का प्रभाव (Influence of Heredity & Environment ON CHILD DEVELOPMENT)
वंशानुगति या अनुवांशिकता क्या है what is Heredity Or Genetics
वंशानुगति या अनुवांशिकता बाल विकास को प्रभावित करने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण आंतरिक कारक है। जो गुण माता - पिता से उनके बच्चों में आते हैं ,उन्हें वंशानुगत गुण कहते हैं। साधारण भाषा में कहें तो यह हमारी पैतृक संपत्ति ही है जो हमें हर हाल में मिलेगी,चाहे हम चाहे या ना चाहें. पर इस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है,यह पहले से ही निर्धारित है या कहें कि यह By Default है जिसे हम कभी बदल नहीं सकते।
वातावरण या पर्यावरण क्या है what is Environment
वंशागति के अलावा जो भी कुछ चाहे वह परिवार, मित्र, स्कूल, समाज ,संस्कृति ,राजनीति ,नैतिकता सभी कुछ पर्यावरण है या वंशानुगति के अलावा जो भी कुछ भी है, सब पर्यावरण या वातावरण ही है , जो जीवित या अजीवित किसी भी प्रकार का हो सकता है। तो इस प्रकार कहा जा सकता है कि अनुवांशिकता और वातावरण दोनों परस्पर संबंधित है या कहें कि इन दोनों की अंतः क्रिया के द्वारा ही हमारा व्यक्तित्व या Identity बनती है। वुडवर्थ ( Woodworth) के अनुसार - विकास, अनुवांशिकता और वातावरण का गुणनफल है। यानी वंशानुगति का प्रभाव वातावरण पर पड़ेगा और वातावरण का प्रभाव वंशानुगति पर पड़ेगा।
यानी DEVELOPMENT= HERIDITY × ENVIRONMENT
टॉपिक का सार - GIST OF GTHGE TOPIC
किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व उसकी वंशानुगति और वातावरण के प्रभाव का ही परिणाम होता है।
NATURE & NURTURE
इसी के संबंध में नेचर और नर्चर (Nature and Narture) को भी समझ लेना आवश्यक है।
नेचर यानी की प्रकृति (या वंशानुगति) और नर्चर यानी कि कि पोषण (वातावरण या पर्यावरण) देने वाला। इसे हम एक पौधे के उदाहरण से समझते हैं:
मान लीजिए हमने एक बीज बोया उस तो उस बीज उस बीज के अंदर पहले से जो भी कुछ उपस्थित है वह उसकी प्रकृति/ वंशानुगति / अनुवांशिकता है। अगर बीज स्वस्थ है तो उससे बनने वाला पौधा भी स्वस्थ होगा परंतु इसके साथ ही उसे पर्याप्त हवा, पानी, मिट्टी, खाद यानी पोषण / वातावरण/ पर्यावरण भी अनुकूल मिलना चाहिए, तभी एक स्वस्थ पौधा पनपेगा और वृक्ष बनेगा।
ठीक इसी तरह, बाल विकास भी वंशानुगति एवं वातावरण से प्रभावित होता है। यानी कि कोई बच्चा अपने माता पिता की अनुवांशिकी से जो भी वंशानुक्रम से जो भी वंशानुक्रम ग्रहण करता है, उसे हम प्रकृति समझ सकते हैं। जबकि बच्चे के विकास में उसके परिवेश का जो प्रभाव उस पर पड़ता है उसे हम पालन -पोषण कहते हैं।
टॉपिक का सार - GIST OF THE TOPIC
किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व उसकी वंशानुगति और वातावरण के प्रभाव का ही परिणाम होता है। यानी अगर NATURE (प्रकृति या वंशानुगति या अनुवांशिकता)अच्छा होगा तभी NATURE (पोषण या वातावरण या पर्यावरण) अच्छा होगा। तो कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि मानव व्यक्तित्व,अनुवांशिकता और वातावरण की अंतः क्रिया का ही परिणाम है, इसलिए बचपन से ही बाल विकास पर उचित ध्यान देना आवश्यक है। जिससे कि आगे चलकर स्वस्थ व्यक्तित्व वाले व्यक्तियों और समाज का निर्माण हो सके। इसी कारण टीचर बनने से पहले इस टॉपिक को पढ़ना बहुत जरूरी है। इस टॉपिक से संबंधित वस्तुनिष्ठ प्रश्न हम अगले आर्टिकल में सॉल्व करेंगे। ✒ श्रीमती शैली शर्मा (MPTET Varg1(BIOLOGY),2(SCIENCE),3 & CTET PAPER 1,2(SCIENCE)-QUALIFIED
अस्वीकरण: सभी व्याख्यान उम्मीदवारों को सुविधा के लिए सरल शब्दों में सहायता के लिए प्रस्तुत किए गए हैं। किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते एवं अनुशंसा करते हैं कि आधिकारिक अध्ययन सामग्री से मिलान अवश्य करें।
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