SHANKAR IAS ACADEMY - भ्रामक विज्ञापन के लिए 5 लाख का जुर्माना

नई दिल्ली।
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 के संबंध में भ्रामक विज्ञापन के लिए शंकर आईएएस अकादमी के खिलाफ एक आदेश जारी किया है। CCPA का नेतृत्व मुख्य आयुक्त श्रीमती निधि खरे और आयुक्त श्री अनुपम मिश्र करते हैं। सीसीपीए ने शंकर आईएएस अकादमी पर भ्रामक विज्ञापन के लिए 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह निर्णय एक वर्ग के रूप में उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा तथा बढ़ावा देने और यह सुनिश्चित करने के लिए लिया गया कि किसी भी सामान या सेवाओं का कोई गलत या भ्रामक विज्ञापन न किया जाए जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के प्रावधानों का उल्लंघन करता हो।

भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए अधिनियम

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 18 CCPA को यह अधिकार देती है कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि किसी भी सामान या सेवाओं के संबंध में कोई गलत या भ्रामक विज्ञापन न किया जाए जो इस अधिनियम के प्रावधानों या इसके तहत बनाए गए नियमों या विनियमों का उल्लंघन करता हो। 
शंकर आईएएस अकादमी ने अपने विज्ञापन में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 के संबंध में निम्नलिखित दावे किए-
"अखिल भारतीय स्तर पर 933 में से 336 चयन"
"शीर्ष 100 में 40 उम्मीदवार"
"तमिलनाडु से 42 उम्मीदवार उत्तीर्ण हुए हैं, जिनमें से 37 ने शंकर आईएएस अकादमी में अध्ययन किया है"
"भारत में सर्वश्रेष्ठ आईएएस अकादमी" 

विज्ञापन में जानकारी जानबूझकर छिपाई गई थी

सीसीपीए को पता चला कि शंकर आईएएस अकादमी ने विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रमों का विज्ञापन किया था, लेकिन उपरोक्त यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा परिणामों में विज्ञापित सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम के संबंध में जानकारी जानबूझकर विज्ञापन में छिपाई गई थी। इसके प्रभाव के रूप में उपभोक्ता यह गलत विश्वास कर लेते हैं कि संस्थान द्वारा दावा किए गए सभी सफल उम्मीदवारों ने संस्थान द्वारा उसकी वेबसाइट पर विज्ञापित भुगतान पाठ्यक्रमों को चुना था। दूसरे शब्दों में, इस विज्ञापन से उपभोक्ता इस कोचिंग संस्थान द्वारा विज्ञापित सशुल्क पाठ्यक्रमों को खरीदने के लिए प्रेरित होते हैं।

उपभोक्ताओं का सूचित होने का अधिकार

शंकर आईएएस अकादमी ने अपने जवाब में यूपीएससी सीएसई 2022 में 336 से अधिक चयन के अपने दावे के मुकाबले केवल 333 सफल उम्मीदवारों का विवरण प्रस्तुत किया। दावा किए गए 336 छात्रों में से, 221 ने मुफ्त साक्षात्कार मार्गदर्शन कार्यक्रम लिया, 71 ने मेन्स टेस्ट सीरीज़ ली, 35 ने प्रीलिम्स टेस्ट सीरीज़ ली, 12 ने सामान्य अध्ययन प्रीलिम्स सह मेन्स लिया, 4 छात्रों ने कुछ अन्य मुख्य पाठ्यक्रम (वैकल्पिक और/या जीएस) के साथ प्रीलिम्स टेस्ट सीरीज़ ली। इस तथ्य का खुलासा उनके विज्ञापन में नहीं किया गया, जिससे उपभोक्ताओं को धोखा हुआ। इस महत्वपूर्ण तथ्य को छिपाकर, इस तरह के झूठे और भ्रामक विज्ञापन उन उपभोक्ताओं पर भारी प्रभाव डालते हैं जो यूपीएससी के उम्मीदवार हैं। इस प्रकार, इस विज्ञापन ने उपभोक्ता के सूचित होने के अधिकार का उल्लंघन किया है, उपभोक्ता को सही जानकारी मिलती तो वह अनुचित व्यापार व्यवहार से खुद को बचा सकता है।

2023 और 2022 की गड़बड़ी

सीसीपीए ने पाया कि 18 मामलों में, जहां उम्मीदवारों ने शंकर आईएएस अकादमी से प्रारंभिक पाठ्यक्रम खरीदा था, रसीद पर पाठ्यक्रम की प्रारंभ तिथि 09.10.2022 बताई गई है, लेकिन यूपीएससी सीएसई, 2022 परीक्षा की प्रारंभिक परीक्षा 05.06.2022 को पहले ही आयोजित की जा चुकी थी और परिणाम 22.06.2022 को घोषित किया गया। इसका मतलब केवल यह हो सकता है कि इन उम्मीदवारों ने अगली यूपीएससी सीएसई प्रारंभिक परीक्षा यानी 2023 के लिए प्रारंभिक पाठ्यक्रम खरीदा है। शंकर आईएएस ने इन उम्मीदवारों को यूपीएससी सीएसई 2022 की कुल चयन सूची में शामिल बताया है।

सीसीपीए की मुख्य आयुक्त श्रीमती निधि खरे ने कहा कि समाचार रिपोर्टों के अनुसार हर साल 10 लाख से अधिक उम्मीदवार यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करते हैं। शंकर आईएएस अकादमी का विज्ञापन उपभोक्ताओं के एक वर्ग यानी यूपीएससी उम्मीदवारों को लक्षित था। इसीलिए ऐसे विज्ञापनों में महत्वपूर्ण जानकारी का खुलासा करके तथ्यों का सच्चा और ईमानदार प्रतिनिधित्व इस तरह से किया जाना चाहिए कि वे स्पष्ट, प्रमुख हों और उपभोक्ताओं के लिए उन्हें समझना बहुत आसान हो।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा- 2(28)(iv) जानबूझकर महत्वपूर्ण जानकारी छुपाने के संबंध में भ्रामक विज्ञापन की बात करती है। सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम के बारे में जानकारी उपभोक्ताओं के लिए जानना महत्वपूर्ण है ताकि वे यह तय करते समय सही विकल्प चुन सकें कि किस पाठ्यक्रम और कोचिंग संस्थान में पढ़ाई करनी है।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा परिणाम की घोषणा होते ही कोचिंग संस्थान अखबारों आदि में विज्ञापनों की बौछार कर देते हैं। इन विज्ञापनों में सफल उम्मीदवारों के नाम और तस्वीरें प्रमुखता से दिखाई जाती हैं। सीसीपीए ने भ्रामक विज्ञापन के लिए कई कोचिंग संस्थानों को नोटिस जारी किया है, जिसमें सीसीपीए ने पाया कि कोचिंग संस्थान अपने विज्ञापनों में एक ही सफल उम्मीदवार के नाम और तस्वीरों का प्रमुखता से उपयोग करते हैं ताकि यह भ्रम पैदा हो सके कि सफल उम्मीदवार कोचिंग संस्थानों के पूर्णकालिक कक्षा के छात्र थे। जवाब के रूप में विभिन्न कोचिंग संस्थानों की ओर से पेश किए गए विवरण की जांच के बाद, सीसीपीए ने पाया कि अधिकांश सफल उम्मीदवारों ने केवल साक्षात्कार मार्गदर्शन कार्यक्रमों या कोचिंग संस्थानों द्वारा पेश किए गए मुफ्त कार्यक्रमों में भाग लिया था।

सीसीपीए ने पाया कि कई कोचिंग संस्थानों ने समान सफल उम्मीदवारों का दावा किया था, ऐसे उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रमों और पाठ्यक्रम की अवधि का खुलासा किए बिना, ताकि संभावित उम्मीदवारों (उपभोक्ताओं) को गुमराह किया जा सके।
उपरोक्त समाचार PIB - Press Information Bureau, Delhi; Government of India द्वारा जारी किया गया। (रिलीज़ आईडी: 2050652) एमजी/एआर/एके/एमबी 

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