MP NEWS - वासुदेव बड़ागांव ग्वालियर के अवैध स्विमिंग पूल में डूबने से युवक की मौत

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक स्विमिंग पूल में डूबने से एक युवक की मौत हो गई। वह अपने दो दोस्तों के साथ पूल पार्टी बनाने के लिए आया था। सभी ने स्विमिंग पूल में शराब भी पी थी। पुलिस इंक्वारी में पता चला कि यह स्विमिंग पूल अवैध रूप से बनाया गया है। इसकी परमिशन नहीं है और यहां पर प्रोटोकॉल का पालन भी नहीं किया जा रहा था। लाइफगार्ड तो दूर की बात लाइफ जैकेट तक नहीं थी। 

स्विमिंग पूल में लाश तैर रही थी और लोग नशे में झूम रहे थे

युवक का नाम पवन वर्मा है। मुरार में रहने वाले श्री कृष्ण लाल वर्मा का बेटा है। वह अपने दो दोस्तों के साथ बिजौली थाना क्षेत्र के अंतर्गत बड़ागांव पुल के आगे स्थित वासुदेव यादव के स्वीमिंग पूल में पार्टी करने के लिए रविवार को दोपहर 2:00 बजे गया था। सभी दोस्त अपने साथ शराब खरीद कर ले गए थे। स्विमिंग पूल में नहाते हुए शराब पी रहे थे। शाम करीब 5:00 बजे पवन वर्मा स्विमिंग पूल में डूब गया, किसी को पता तक नहीं चला। जब उसकी डेड बॉडी पानी के ऊपर आई तब लोगों की नजर पड़ी। 

पवन की मौत के लिए कौन-कौन जिम्मेदार

इस घटना में पवन शराब पीकर पानी में उतरा यह उसकी लापरवाही है, इस वजह से उसकी जान गई। लेकिन लापरवाही सिर्फ पवन की नहीं बल्कि पूरे सिस्टम की है। जिसकी लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ।

स्विमिंग पूल नहीं मौत का गड्ढा है

स्वीमिंग पूल बिना अनुमति संचालित हो रहा था। रात में जब महिला आइपीएस अनु बेनीवाल पहुंचीं तो पड़ताल में समाने आया कि अनुमति न होने के साथ ही यहां लाइफ गार्ड, लाइफ जैकेट, ट्यूब, रस्सी, कोच व अन्य सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे। यानी प्रोटोकॉल का पालन भी नहीं किया जा रहा था। इस प्रकार के स्विमिंग पूल को, स्विमिंग पूल नहीं बल्कि मौत का गड्ढा कहा जाना चाहिए। जबकि स्विमिंग पूल का संचालन खुलेआम किया जा रहा था। नगर निगम के क्षेत्रीय अधिकारियों को इसके बारे में पूरी जानकारी थी, लेकिन सीजनल रिश्वत के लालच में नगर निगम के अधिकारियों ने स्विमिंग पूल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की और ना ही संचालक को प्रोटोकॉल के पालन के लिए बाधित किया।

नगर निगम के भवन अधिकारी ग्रामीण राजीव सोनी ने बताया कि स्वीमिंग पूल के निर्माण से लेकर संचालित करने की कोई अनुमति नगर निगम से जारी नहीं की गई। बिना अनुमति के स्वीमिंग पूल संचालित हो रहा था। यहां उल्लेख करना अनिवार्य है कि नगर निगम की जिम्मेदारी है इस प्रकार के अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाए। स्विमिंग पूल को मिट्टी से भरकर बंद कर दे, परंतु नगर निगम ने ऐसा नहीं किया। 

जहां भी जान का खतरा हो वहां स्थानीय पुलिस का कर्तव्य प्रारंभ हो जाता है। स्विमिंग पूल में लाइफगार्ड और लाइफ जैकेट तक नहीं था। स्थानीय पुलिस थाने को स्विमिंग पूल के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी। यदि पुलिस कार्रवाई करती तो स्विमिंग पूल में लाइफगार्ड और लाइफ जैकेट दोनों होते।

स्विमिंग पूल में फर्स्ट एड बॉक्स भी नहीं था। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करें कि जहां पर भी जान का खतरा है वहां पर मेडिकल सपोर्ट हो। इसीलिए नेशनल हाईवे पर एक्सीडेंट वाले बिंदु के आसपास एंबुलेंस खड़ी की जाती है। मेडिकल डिपार्टमेंट ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई।

शहर में दर्जनों ऐसे मौत के गड्ढे

इस स्वीमिंग पूल में हादसा हो गया तो हकीकत सामने आ गई। शहर में ऐसे दर्जनों मौत के गड्ढे हैं, जिन्हें नियमों को ताक पर रखकर संचालित किया जा रहा है। इसमें हर रोज हजारों लोग नहाने के लिए उतर रहे हैं। पहले भी ऐसे हादसे हो चुके हैं, लेकिन बिना अनुमति और बिना सुरक्षा इंतजामों के संचालित हो रहे स्वीमिंग पूल पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। 

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