मध्यप्रदेश के सरकारी कॉलेजों में होने वाली सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा में नया मोड़ आने वाला है। जारी विज्ञापन को लेकर अतिथि विद्वानों ने कोर्ट में कई केस लगाए थे। कुछ के तो निराकरण हुए तो कुछ के अभी नहीं।
कोर्ट के आदेश के अनुसार अतिथि विद्वानों को उम्र में 10 वर्ष की छूट दी गई जिसके कारण 58 वर्ष तक के अतिथि विद्वान परीक्षा दे सकेंगे लेकिन बड़ा सवाल है कि जो 60, 62 वर्ष के अतिथि विद्वान है उनका क्या होगा??? जो अबूझ पहेली बना हुआ है। वहीं मामला सामने एक और आया है। जो पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं उस समय के उच्च शिक्षा मंत्री वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने घोषणा की थी कि अतिथि विद्वानों को उम्र में छूट एवं होने वाली पीएससी में 25 प्रतिशत शीट अतिथि विद्वानों से भरी जाएगी।कोर्ट के निर्देश में तो उम्र की छूट का हो गया लेकिन 25 प्रतिशत शीट का मामला गर्म होने लगा।
कार्यरत अतिथि विद्वानों को स्थाई करे सरकार:-डॉ देवराज सिंह
अतिथि विद्वान महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ देवराज सिंह ने एक बड़ा बयान जारी किया है जिसके अनुसार उन्होंने कहा कि कार्य कर रहे अतिथि विद्वानों को सरकार स्थाई करे,psc अतिथि विद्वानों के हित मे नही है ये बात ख़ुद डॉ मोहन यादव मुख्यमंत्री खुद बोल चुके हैं कि अतिथि विद्वानों का समायोजन किया जाएगा।सरकार गंभीरता से रास्ता निकाले,अतिथि विद्वानों को उनके वर्षों के सेवा का फल भाजपा सरकार को देना चाहिए।पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान,उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल,वी डी शर्मा,इंदर सिंह परमार सहित सब लोग वादा कर चुके हैं अतिथि विद्वानों से की आपका भविष्य सुरक्षित करेंगे।अब सूरज निकलना चाहिए।
फिर फंस सकता है पेंच,नियमों में उलझ सकती है भर्ती
सहायक प्राध्यापक भर्ती फिर नियमों में उलझ सकती है।25 प्रतिशत आरक्षण का मामला कोर्ट में पहुचते ही उलझ सकता है।क्योंकि जिस कैबिनेट से जारी आदेश दिया गया था उसी आदेश पत्र में उम्र,25 प्रतिशत शीट,50 हज़ार फिक्स वेतन,बाहर न करने का आदेश दिए गए थे।अब अगर पेंच फसता है तो ये भर्ती और आगे बढ़ सकती है।अब अगर इस भर्ती में अतिथि विद्वानों को लाभ नही मिलेगा तो कब मिलेगा??
डॉ आशीष पांडेया, मीडिया प्रभारी का कहना है कि, अतिथि विद्वानों की ही बार बार परीक्षा क्यों??सरकार अगर वास्तव में संवेदनशील है अतिथि विद्वानों का समायोजन करे जिस रिक्त पदों में सेवा दे रहे हैं विद्वान।20 से 25 वर्षो का लंबा अनुभव विद्वानोँ को है,उच्च डिग्री है।सरकार एक बेहतर तरीके से पालिसी बनाए अतिथि विद्वानों का समायोजन कर भविष्य सुरक्षित करे।
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