मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद पहले मंत्रिमंडल विस्तार होगा। इसमें 12 मंत्री बदल दिए जाएंगे। यह बात, भाजपा के दूसरे सबसे बड़े नेता श्री अमित शाह खुद कह गए हैं। बस उन्होंने दूसरे शब्दों का उपयोग किया था।
चुनाव में औपचारिकता निभाई, काम नहीं किया
मध्य प्रदेश की डॉ मोहन सिंह सरकार के कई मंत्रियों के बारे में खुलकर कहा जा रहा है कि उन्होंने काम नहीं किया। सिर्फ औपचारिकता पूरी की है। उनकी बातों में अहंकार और काम में बेफिक्री सब दिखाई देती थी। कुछ तो ऐसे हैं जिनका मंत्री पद मिलते ही फोकस ही बदल गया है। अब वह केवल पार्टी के कार्यक्रमों में या सरकारी कार्यक्रमों में दिखाई देते हैं। वह कड़ी मेहनत कर रहे हैं परंतु उनका पूरा समय किसी दूसरे कामों में खर्च हो रहा है।
मंत्रिमंडल का चयन करने वालों से भी पूछो
बताने की जरूरत नहीं है, चुनाव में नेता का दिखाई देना और काम करना दोनों में बड़ा अंतर होता है। मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव हेतु मतदान के पहले चरण में 2019 की तुलना में 7.5% कम मतदान हुआ था, इसके बावजूद किसी ने चिंता नहीं की। नतीजा दूसरे राउंड में 8.50% की गिरावट दर्ज की गई। यहां सवाल लीडरशिप का भी है। उसे व्यक्ति से भी प्रश्न किया जाना चाहिए जिसने मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल का चयन किया।
मध्य प्रदेश की 12 विधानसभा जहां सबसे कम मतदान हुआ
जबेरा, चितरंगी, देवतालाब, त्यौंथर, सिरमौर, मनगवां, मऊगंज, सीधी, चुरहट, चंदला, गुढ एवं रहली। इन सभी में से सिर्फ एक चुरहट विधानसभा में कांग्रेस पार्टी का विधायक है। बाकी सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं। बताने की जरूरत नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी के विधायकों और मंत्रियों में कितना जोश है।
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