157 साल पुराना कानून एक व्यक्ति ने रद्द करवा दिया - legal History Story

Bhopal Samachar
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 497 में जारकर्म को अपराध माना जाता था, अगर कोई पुरुष किसी विवाहिता स्त्री के साथ संबंध बनाता है तो उसे जारकर्म का अपराध कहा जाता है। इस अपराध की शिकायत सिर्फ महिला ही कर सकती थी और इस अपराध में सिर्फ पुरुष ही अपराधी होता था महिला नहीं, इसलिए यह अपराध समानता के अधिकार का उल्लंघन माना जाता था। यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होता था। इसकी सुनवाई एवं शिकायत प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट के पास होती थी, इस अपराध के लिए अधिकतम पाँच वर्ष की कारावास या जुर्माने का प्रावधान था।

इस अपराध को कब और किसके द्वारा हटाया गया जानिए, संवैधानिक चुनौतियां

1. सर्वप्रथम यूसुफ अब्दुल बनाम अझीझ बनाम बम्बई राज्य में इस अपराध को वैध घोषित किया था। न्यायलय ने आवेदक के तर्क को अस्वीकार करते हुए कहा कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15(3) जो महिलाओं के लिए विभेदकारी कानून बनाने की छूट देता है।

2. सुप्रीम कोर्ट ने सौमैत्री विष्णु बनाम भारत संघ एवं रेवती बनाम भारत संघ मामले मे पुनः इसी बात को दोहराया कि जारकर्म में सहभागी स्त्री को अपराधी के रूप मे दण्डित किया जाना न्यायोचित नहीं होगा।

लेकिन इस अपराध को लेकर संविधान का उल्लंघन है यह लड़ाई वर्षों तक चलती रही क्योकि इस अपराध में पुरुष ही दोषी होते थे यह संविधान का उल्लंघन है और पुरुष ही क्यूँ दण्ड के भागीदार होगे।

आखिरकार केरल के रहने वाले जोसफ साइन भारतीय मूल के नागरिक जो इटली में निवास करते थे, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट में 2017 में एक याचिका लगा दी जो भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की 497 और दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 198(2) को असंवैधानिक बताने के लिए जो पुरुषों के साथ समानता के अधिकार को भेदभाव करता है। 

जोसेफ साइन बनाम भारत संघ (निर्णय वर्ष 2019) :- चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने एकमत होते हुए जारकर्म को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया एवं भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 497 को असंवैधानिक मानते हुए इसे निरस्त कर दिया।

आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार के दिन इस 157 साल पुराने कानून को तोड़ दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे प्रावधान जो महिला-पुरुष के साथ भेदभाव करते है वह असंवैधानिक होते है। जापान, ब्राजील आदि देशों में भी जारकर्म का संबंध अपराध नहीं है। यह संविधान का उल्लंघन है इसलिए भारतीय दण्ड संहिता की धारा 497 एवं दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 198(2) असंवैधानिक है। 

इस प्रकार भारतीय मूल के इटली निवासी जोसेफ साइन ने अंग्रेजों के 157 साल पुराने असंवैधानिक कानून को निरस्त करवा दिया। लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।

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